स्वातन्त्र्य वीर सावरकर
नमन तुम्हें हे राष्ट्रपुरुष,शत कोटि निवेदित प्रणाम तुम्हें
भारत के हे मानबिंदु, जीवन से ऊंचा सम्मान तुम्हें।
आजादी के अग्रदूत स्वातंत्रय वीर सावरकर हैं
मातृभूमि के अमर सपूत स्वातंत्रय वीर सावरकर हैं
कोटि कोटि हृदयों में बसते स्वातंत्रय वीर सावरकर हैं
राष्ट्रभक्त की हर ज्वाला में स्वातंत्रय वीर सावरकर हैं।
मातृभूमि की स्वतंत्रता हेतु, होम जवानी कर डाली,
काला पानी सह कर के, जीवन की आहुति दे डाली।
सेलुलर जेल की दीवारों पर मन की पीड़ा लिख डाली
घोर यातनाएं सही किंतु, नहीं कभी लेखनी डाली।
जिनके चिंतन में केवल भारत की आजादी थी
जिनके शब्दों में केवल भारत की ही गाथा थी
जिनके रोम-रोम में केवल भारत मां की पूजा थी
जिनके हर कर्मों में केवल देशभक्ति की ज्वाला थी।
ऐसे वीर हुतात्मा को हम अपना शीश झुकाते हैं
सावरकर को अपमानित करने वाले ओछे मन के है
सावरकर बनने के खातिर संघर्ष झेलना पड़ता है
ऐरे गैर नत्थूखैरे सावरकर की धूलि नही बन सकते हैं
— बालभास्कर मिश्र, लखनऊ