जीवन
जीवन
जीवन
अपने सफर पर
मंजिल की तलाश में
सुख-दुःख के पहियों पर
होकर सवार
निकल पड़ा
और
दीवार पर टंगा
कैलेन्डर
हवाओं के साथ
फड़फड़ाता
दिन-रात के साथ
नित नए छल करता
बदलता रहा
दिन-महीने
बरसो -बरस
अपने कागजों पर
स्याही उंडेले
रंग-बिरंगे रंगों
को समेटे
कहीं कोरे कागज पर
उजली-स्याह
इबारत लिखे
फिर भी
जीवन
चल रहा है
अपने सफर पर
मंजिल की तलाश में।
डॉ प्रदीप उपाध्याय,16,अम्बिका भवन,उपाध्याय नगर,मेंढकी रोड़,देवास,म.प्र.
9425030009(m)