उलझनें कम नहीं जिंदगी की
उलझनें कम नहीं जिंदगी की
बस बहुत हुआ अब इसे घटाओ ना,
थक जाएं जो कभी हारकर
तुम आकर गले लगाओ ना,
एक रूह, दो जिस्म में जिंदा रहे
इस कदर धड़कनों में समाओ ना,
मांग लो जान हमसे खुशी है हमें
लगकर गले से मुझमें समाओ ना,
छोड़ दें मुस्कुराना एकबार कहो,
आजमाना हो तो आजमाओ ना।
…….#कविता