कविता

प्यार

प्यार से ही कायम है प्यारे यह नश्वर संसार.
फिर भला लोग क्यों कर रहे प्यार से ही इंकार.
प्यार जीव की जींस में भरी हुई अफरात.
प्यार ढ़ूंढते घूमते जीव सब पूरे दिन औ रात.
प्यार के भाव का यदि कभी जग में पड़ा अकाल.
जीव सभी इस सृष्टि के हो जाएंगे बदहाल.
प्यार करो दिल खोलकर रखो रब को याद.
उनकी ओर से मिला समय तनिक न हो बर्बाद

—  उमेश शुक्ल

उमेश शुक्ल

उमेश शुक्ल पिछले 34 साल से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय रूप से काम कर रहे हैं। वे अमर उजाला, डीएलए और हरिभूूमि हिंदी दैनिक में भी अहम पदों पर काम कर चुके हैं। वर्तमान में बुंदेलखंड विश्वविद्यालय,झांसी के जनसंचार एवं पत्रकारिता संस्थान में बतौर शिक्षक कार्यरत हैं। वे नियमित रूप से ब्लाग लेखन का काम भी करते हैं।