क्या हाल हो गया है भाई
सत्तालोभियों के चक्कर में बेहाल हो गया है भाई
देख लो अपने भारत का क्या हाल हो गया है भाई
नेताजी का हाल हुआ बिन पेंदी के लोटे वाला
हाकिम रिश्वत मांग रहे हैं और वो भी मोटे वाला
स्वार्थ सिद्ध हो जाए जहाँ पर वहीं पे जाके टूट रहे
नेता अफसर मिल जुल कर के जनता को हैं लूट रहे
वादे इनके फांस ले जो वो जाल हो गया है भाई
देख लो अपने भारत का क्या हाल हो गया है भाई
हो गई है पैसेवालों की गरीबों को दुत्कार रही
महंगाई जी नागिन बनकर देखो है फुंफकार रही
ये तो अपनी चाल तीव्र से नित ऊंची चढ़ती जाती
आमदनी का पता नहीं है महंगाई बढ़ती जाती
अब जीना यहां गरीबों का मुहाल हो गया है भाई
देख लो अपने भारत का क्या हाल हो गया है भाई
राह का पत्थर बनकर है बेरोजगारी रोके रस्ता
रोजगार का मार्ग नहीं है हालत हो गई है खस्ता
मेधा और प्रतिभा भी बन बैठीं हैं धन की दासी
रोजगार के कारण बन गए पढे़ लिखे भी चपरासी
बेरोजगारी के चलते बड़ा बवाल हो गया है भाई
देख लो अपने भारत का क्या हाल हो गया है भाई
एक और ऐसा ही मद है जो विकास का अवरोधक
रोज-रोज बढ़ती ही जाती ये जनसंख्या विस्फोटक
आबादी न बढे़ तब कल्याण निहित यहां पर है
भूलें न कि जीने का संसाधन सिमित यहां पर है
इसका इतना बढ़ जाना अब काल हो गया है भाई
देख लो अपने भारत का क्या हाल हो गया है भाई
रही किसी को रुचि नहीं सत्कर्मों में सत्संगों में
लेकिन सबका मन लगता है उन्मादों में दंगों में
हिंदु मुस्लिम सिख इसाई लड़ते देखो आपस में
दौड़ रही है कट्टरपंथी सोच यहां पर नस नस में
खून से भारत मां का आंचल लाल हो गया है भाई
देख लो अपने भारत का क्या हाल हो गया है भाई
— विक्रम कुमार