चूर करो अभिमान
जो करें भंग शांति देश की , मत करना सम्मान ।
संदिग्धो का पता लगाकर ,चूर करो अभिमान ।
जो विकास में जहर घोलते ,फैलाते अफवाह ।
ऐसे मक्कारों की जग को ,क्योंकर हो परवाह।
आगजनी ,उपद्रव जिन्होंने ,ध्येय लिया है मान ।
संदिग्धो का पता लगाकर ,चूर करो अभिमान ।।
है संदिग्ध भरे अपनों में ,सीधा धर कर भेष ।
नियम उलंघन करने को ही ,रहते अपने देश ।
सही गलत की समझ से परे ,बनते हैं नादान ।
संदिग्धो का पता लगाकर ,चूर करो अभिमान ।
क्षणिक सुखों के लोभ मोह में ,साधें अपना स्वार्थ ।
जन जन का विश्वास छलें वो ,सोचे नहीं हितार्थ ।
लोकतंत्र के विघटन में ही ,समझें अपनी शान ।
संदिग्धो का पता लगाकर ,चूर करो अभिमान ।।
— रीना गोयल