गीत/नवगीत

सरसी छन्द : गीतआयी नवल प्रभात

आशा की स्वर्णिम किरणें फिर ,लायी नवल प्रभात ।
अब होगा उत्थान मनुज का ,तम पर कर प्रतिघात ।।
रंग भेद औ जाति- पाति की,टूटेंगी दीवार ।
क्षमताओं की दीप्त प्रभा में ,छँटे सभी अँधियार ।
ऊँचा रहे मनोबल तो हो ,निराशाओं की मात ।
अब होगा उत्थान मनुज का ,तम पर कर प्रतिघात ।।
जीवन है श्रम और साधना ,सहज सरल  मनभाव ।
श्वास डगर के सभी पथिक हैं ,नहीं तनिक ठहराव ।
दृश्य जगत मत उलझ बटोही ,मत कर उर आघात ।
अब होगा उत्थान मनुज का ,तम पर कर प्रतिघात ।।
अभी नहीं हिम्मत  हारो तुम ,करो विजय की आस ।
पार क्षितिज के जाना तुमको ,सोच यही हो खास ।
तुम्हें कभी जो  छू भी पाए ,दुख की क्या औकात ।
अब होगा उत्थान मनुज का ,तम पर कर प्रतिघात ।।
— रीना गोयल

रीना गोयल

माता पिता -- श्रीओम प्रकाश बंसल ,श्रीमति सरोज बंसल पति -- श्री प्रदीप गोयल .... सफल व्यवसायी जन्म स्थान - सहारनपुर .....यू.पी. शिक्षा- बी .ऐ. आई .टी .आई. कटिंग &टेलरिंग निवास स्थान यमुनानगर (हरियाणा) रुचि-- विविध पुस्तकें पढने में रुचि,संगीत सुनना,गुनगुनाना, गज़ल पढना एंव लिखना पति व परिवार से सन्तुष्ट सरल ह्रदय ...आत्म निर्भर