कहानी

कब आएँगे मुर्गे और बकरे के नववर्ष

राहुल राहुल कहाँ हो? देखो मै क्या लायी हूँ तुम्हारे लिए? आखिर तुम्हारी मम्मी हूँ राहुल ने एक नजर देखा और अपने ख्यालों में खो गया। नववर्ष का आरम्भ होने वाला था राहुल की मम्मी चाहती थी कि सभी खुश रहें लेकिन राहुल न जाने क्यों पिछले कुछ दिनों से कटा कटा सा रह रहा था। कोई उपहार उसकी चंचलता नही लौटा पा रही थी।
           दरअसल कुछ दिन पहले वह मुर्गे की दुकान पर गया था जहाँ उसने मुर्गे को कटता तड़पता देख लिया तभी से उसके मन में न जाने क्यों अजीव अजीव सवालो ने घेर रखा था । फलस्वरूप वह उदास रहने लगा।उसकी मम्मी पापा आधुनिक ख्याल के थे इन सभी बातो से अनभिज्ञ थे कि राहुल के मन में क्या चल रहा है।
            वह हमेशा की तरह आज भी नहा धोकर अपनी नित क्रिया से निवृत होकर धूप लगाने छत पर बैठा था। इतने में उसका दोस्त निखिल आया और कहने लगा! राहुल इस नये साल पर हम सभी दोस्तो ने पार्टी रखी है तुम्हें भी रहना है? राहुल ने झल्लाते हुए पूछा ?वेज या नाॅनवेज? निखिल आश्चर्य भरी नजरो से राहुल की ओर देखता हुआ बोला यार नये साल पर तो हमेशा ही नाॅनवेज पार्टी होती है याद करो पिछले साल भी तो हुई थी पर तू इतनी झल्लाकर क्यो बोल रहा है।देखो निखिल मेरा नाॅनवेज पार्टीयो में जाना अब संभव नहीं होगा तुम लोग इन्ज्वाय करो निखिल बोला पर क्यू यार तेरे वगैर पार्टी कैसी? पर तू तो नाॅनवेज का आशिक था तूझे हुआ क्या है?
       राहुल नही चाहता था कि वह उसके मन की बात जाने लेकिन मना करने पर निखिल नाराज हो सकता था इस बात की इल्म ने ही राहुल को बोलने पर विवश कर दिया राहुल ने कहा देखो निखिल कभी मुर्गो बकरों का नया साल आएगा क्या ? ये नाॅनवेज की बढती कतार लोगो की हुजुम और नाॅनवेज का आकर्षण कभी भी उनका नया साल आने नही देगा कभी सोचकर देखो नये साल के दिन जहाँ इन्सान जश्न मनाते है वही बकरे और मुर्गे इसलिए रोते है कि नया साल प्रारम्भ होने वाला है।करोडो करोड कटते है यह सिलसिला रोजमर्रे से लेकर पर्व त्योहारों में फैलता ही जा रहा है।एक दिन न तो मुर्गे बचेंगे न बकरे फिर कैसा जश्न ।निखिल राहुल की बातो से कुछ सोच में पड गया और राहुल की तरफ देखता हुआ बोला यार सभी तो करते है यह तो अपनी अपनी पसंद है ।राहुल बोला निखिल पसंद को किसी न किसी को तो बदलना होगा सभी करते है ये सोचकर हम भी करे ये जरूरी तो नही आखिर बकरे और मुर्गे की भी माँ होगी उसके भी तो अरमान होंगे लेकिन हमलोग अपने स्वार्थ और स्वाद की खातिर उसको टुकडो में काटकर खाते है आखिर हमलोग ऊन मुर्गे और बकरे की नजर में आतंकवादी ही हुए न ?जीव से प्यार करो निखिल अनंत आनंद की अनुभूति होगी और कसम खाओ कभी किसी नाॅनवेज पार्टी का हिस्सा नही बनोगे।मै तो अब डिसाइड कर लिया हूँ न मै कभी खाउँगा और न कभी किसी नाॅनवेज पार्टी में जाऊँगा।
मेरे तरह अगर सभी सोचने लगे तो ये कसाइयों की दुकान बंद हो जाएगी और फिर कभी कोई किसी को काटेगा ही नहीं जब एक मुर्गे को काटकर उसे टीन मे डालते है तो वह कितना तडपता है जाकर देखो अगर नेक दिलवाले देख लें तो अच्छी तरह नींद नही आएगी। वैसे मै तुम्हें रोक नहीं सकता ये मेरी फिलिग्स है जो मैने तुम्हें तुम्हारी जिद करने पर बतायी तुम अपना डिसीजन खुद ले सकते हो।राहुल की बातो ने निखिल को झकझोर दिया था।अतः उसने भी कहा राहुल क्यो न इस वर्ष हमलोग वेज पार्टी करें । राहुल बोला देख मेरी खातिर नही एक दिन कर लेने से क्या होगा सदा ही सादा और सादगी बनी रहे यह जरूरी है इस जहाँ के लिए।वर्ना ये तामसी राक्षसी भोजन हमारी चेतना और बुद्धि को भी भ्रष्ट कर हमलोगो को राक्षस बनाये जा रहा ।आओ कसम खाये कि हमलोग कभी नाँनवेज को हाथ नही लगाएँगे।और इस तरह राहुल ने कई और दोस्तो को भी सादगी और सादा चलने की कसम से बांधा ।
— आशुतोष

आशुतोष झा

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