स्त्री
दुष्टों के लिए काली का रूप है वो,
घर की लक्ष्मी, बच्चों की ममता की एक मूरत है वो
हर दुख़ हरण कर घर की सुख़ शांति है वो,
एक स्त्री है वो।।
खेल का मैदान हो या आसमान की उड़ान हो,
कंधे से कंधा मिलाकर चलती है वो,
अपने हक के लिए लड़ती है वो,
कम नहीं है किसि से ,
सबका भला कर दुष्टों का सर्विनाश करती है वो,
एक स्त्री है वो।।
फूल सी कोमलता, मां की ममता ,प्रेम भरी मूरत है वो,
हर कठिनाई में साहस है वो,शक्ति पूर्ण देवी है वो,
इस सृष्टि की आगाज है वो,
मन की शांति, ज़ग की एक अनमोल रचना है वो,
एक स्त्री है वो।।
— निहारिका चौधरी