अभी गीत की पंक्तियां शेष हैं
अभी उम्र वाकी बहुत है प्रिये,
तुम न रूठो, अभी ज्योति मेरे नयन में।
इधर कल्पनाओं के सपने हम सजाते,
उधर भाव तेरे मुझे हैं बुलाते,
यहाँ प्राण , मेरी न नैया रूकेगी,
बहुत बात होंगी न पलकें झुकेंगी,
अभी राह मेरी न रोको सुहानी,
तुम्हीं रूठती हो, नहीं यह जवानी।
अभी गीत की पंक्तियाँ शेष हैं,
रागिनी की मधुर तान मेरे बयन में।
हँसी से न रूठो, हँसी में न जाओ,
विकल आज मानस न हमको रूलाओ,
कहीं तुम न बोलो, क़हीं मैं न बोलूं,
कहीं तुम न जाओ, कहीं मैं न डोलूं,
तुम्हीं रुपसी हो, तुम्हीं उर्वशी हो,
तुम्हीं तारिका हो, तुम्हीं तो शशी हो।
तुम्हें पूजता हूं लगाकर हृदय को,
तुम्हीं रशिम की ज्योति मानस गगन में।
तुम्हें भूलना प्राण सम्भव नहीं है,
तुम्हें पूजना अब असम्भव नहीं है,
प्रिये, तुम नहीं जिन्दगी रूठती है,
कलम रूक रही है, कल्पना टूटती है
न रूठो प्रिय, यह कसम है हमारी,
पुनः है बुलाती नयन की खुमारी।
सजनि, पास आओ हँसो मन मरोड़ो,
सभी साधना-तृप्ति तेरे नमन में।।
— कालिका प्रसाद सेमवाल