कविता

आज़ गगन में चांद हँसा है

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प्रिय तुम मुझसे दूर न जाओ,
मेरे मन में आज नशा है।

घूंघट खोल रही है कलियाँ
,
झूम रही है मतवाली अलियाँ ,
नन्दन वन की वायु चली है,
सुरभित दीखी आज गली है,
लगती सुखमय मधुरिम वेला,
जीवन नन्दन मंजुल मेला,
उठती मन में मधुरिम आशा,
मिटती सारी थकित पिपासा,

तुम भी हँस दो मेरे प्रियवर,
आज़ गगन में चांद हंसा है।

तुम कुछ लगती इतनी भोली,
जैसे कोमल की मधुर बोली,
तुमको पाकर धन्य हुआ मैं,
औरों का तो अन्य हुआ मैं,
तुमसे सारा जीवन हँसता,
तुम पर मेरा मन है रमता,
मेरे मन की तुम्हीं कली हो,
तेरे मन का एक अली हो,

घूम रहा हूँ आज चातुर्दिक् ,
नयनों का यह बाण धंसा है।

मन में आज विवश लाचारी,
तुम पर मैं जाता बलिहारी,
कंचन सी यह तेरी काया,
मेरे मन की सारी माया,
खींच रही है बरबस मन को,
तोड़ रही है सारे प्रन को,
अंचल छोर तुम्हारा उड़ता,
मेरे मन में गान उमड़ता,

झिलमिल चलतीं मधुर बयारे,
मेरे मन में प्यार बसा है।

मोड़ चुका जो जीवन मन को,
उसके बिन संभव क्या जन को,
लोल लहरियां उर के कोने,
भाव रचाकर जाती सोने,
हँस हँस कर तुम मत मुड़ जाओ,
प्यार यहां पर देखो आओ,
बिछुड़न की नित रीत निराली,
मिलना संभव दो दिन आली,

अंग-अंग थिरक रही है माया,
वस्त्र सुसज्जित-रूप सजा हैं।
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कालिका प्रसाद सेमवाल
मानस सदन अपर बाजार
रूद्रप्रयाग उत्तराखंड
पिनकोड 246171

कालिका प्रसाद सेमवाल

प्रवक्ता जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान, रतूडा़, रुद्रप्रयाग ( उत्तराखण्ड) पिन 246171