तुम्हीं सच बताओ मुझे मान दोगी
तुम्हीं सच बताओ मुझे मान दोगी
तुम्हें गीत की हर लहर पर संवारूँ,
तुम्हें जिन्दगी में सदा यदि दुलारूँ,
तुम्हीं सच बताओ मुझे मान दोगी,
बहुत मैं चला हूँ बहुत मैं चलूंगा,
कहीं गीत बनकर तुम्हारा ढलूंगा,
तुम्हीं सच बताओ मुझे गान दोगी।
प्रणय की निशानी नहीं रह सकेगी,
भले यह जवानी नहीं रह सकेगी,
तुम्हीं सच बताओ मुझे प्रान दोगी,
हृदय में कहो या सुमन में बिठाऊँ,
तरसते नयन है कहाँ देख पाऊँ,
तुम्हीं सच बताओ कहां ध्यान दोगी।
— कालिका प्रसाद सेमवाल