कहानी

शुक्रिया

शुक्रिया

एक सुनसान जगह काली रात में दोनो साथ है ।
दोनों के मुहँ विपरीत दिशा में जैसे दोनों ही एक दूसरे को पसंद नहीं करते फिर भी साथ है ।
कहे तो साथ रहना मजबूरी है ।
एक व्यक्ति तन्द्रा भंग कर बोलता है ” तुम्हारा शुक्रिया मेरे जीवन में आने के लिए ” ।
” तुम ,मुझे शुक्रिया कह रहे हो 😮😮 क्यो …….??
तुमको नही मालूम मैं किसी को भी पसंद नही ,सभी मुझसे नफरत करते है “।
” हाँ , मालूम है । जब तुम आये थे तब मुझे भी तुम पसन्द नही थे ,लेकिन जैसे जैसे समय निकलता गया ।
तुम्हारा साथ ज्यादा नही पर ठीक लगता गया “।
” कैसे …….???
” बताओगे मुझे ………🤔🤔🤔”।
” हम्म्म्म………….
” सुनो , तम्हारे आने से मुझे मालुम हुआ कि कौन मेरा है ,
कौन अपने के रूप में पराया , कौन मुझ पर विश्वास करता है जब मैं टूटता हूँ, कौन दोस्त मेरे साथ हरदम खड़ा रहता है ।
” तुमने मुझे जीवन का पाठ पढ़ाया है । मुझे हर परिस्थिति में डट कर खड़े रहना सिखाया । तुमने ही हर परिस्थिति में कैसे रहना है बतलाया है । जो कोई और नही सीखा सकता था ।
” ह्म्म्म , मेरे आने से बहुत टूट जाते है कुछ खत्म हो जाते है बहादुर ही मेरा समाना कर साथ रहते है “।
” तुम जब जाओगे तब मुझे बहुत कुछ दे जाओगे धरोहर के रूप में ।
” अग्नि में तप सोना निखरता है ”
वेसे तुम्हारे साथ मे होता है । तुम बहुत याद आओगे जाने के बाद ” ।
” लेकिन तुम्हारा मेरा साथ यही तक है ,जाने का समय हो रहा है । मेरा भाई ” अच्छा समय ” दस्तक देने को तैयार है ।
” मैं ” बुरा समय” लोगो को सीख देने ही आता हूँ । जो डट कर खड़ा रहता है वो निखर जाता है ।
चलो मैं चलता हूँ ।
बुरा समय आहिस्ता आहिस्ता चलने लगता है ……………………….।

सारिका औदिच्य

*डॉ. सारिका रावल औदिच्य

पिता का नाम ---- विनोद कुमार रावल जन्म स्थान --- उदयपुर राजस्थान शिक्षा----- 1 M. A. समाजशास्त्र 2 मास्टर डिप्लोमा कोर्स आर्किटेक्चर और इंटेरीर डिजाइन। 3 डिप्लोमा वास्तु शास्त्र 4 वाचस्पति वास्तु शास्त्र में चल रही है। 5 लेखन मेरा शोकियाँ है कभी लिखती हूँ कभी नहीं । बहुत सी पत्रिका, पेपर , किताब में कहानी कविता को जगह मिल गई है ।