मुक्तक
दर्द की शिद्दत का ये आलम रहा
उम्र भर तड़पाया फिर भी कम रहा
आंसुओं से लिख दिया था जिस पे दिल
एक मुद्दत तक वो काग़ज़ नम रहा
— मनोहर मनु गुनावी
दर्द की शिद्दत का ये आलम रहा
उम्र भर तड़पाया फिर भी कम रहा
आंसुओं से लिख दिया था जिस पे दिल
एक मुद्दत तक वो काग़ज़ नम रहा
— मनोहर मनु गुनावी