दोस्ती
दिली रिश्ते की ऊंची एक पहचान है
भाव निश्छल लिए एक आह्वान है
दौलतों से न मिलती न जागीर से
दोस्ती जग में ईश्वर का वरदान है
दोस्ती इस जमाने में रिश्ता है वो
जो दो जिस्मों को एक जान करे
चाहे राहों में कितने भी रोडे़ रहें
राह सारे ये पल में आसान करे
दोस्ती के बिन जीना है मुश्किल यहां
दोस्ती हो तो जीना आसान है
दोस्ती जग में ईश्वर का वरदान है
दौलतें चाहे जितने कमा लें यहाँ
पर है जीवन की असली थाती दोस्ती
दौलतें का कोई भी ठिकाना नहीं
वक्त बदले कभी तो काम आती दोस्ती
ऐसा रिश्ता कि जिसमें कोई खोट नहीं
स्वार्थ छल से ये होता अंजान है
दोस्ती जग में ईश्वर का वरदान है
दोस्ती पर किसी का भी जोर नहीं
बंधनों से सभी ये तो आजाद है
दोस्ती में अगर है किसी के कसर
तो ये महज एक अपवाद है
दोस्ती मंदिरों में हैं घंटे का स्वर
दोस्ती ही मस्जिद का अजान है
दोस्ती जग में ईश्वर का वरदान है
— विक्रम कुमार