गीतिका/ग़ज़ल

बनाकर बात तो देखो

बनती है मोहब्बत से, बनाकर बात तो देखो

जरा एक बार करके प्रेम की बरसात तो देखो

अकेले चलने से जीवन बोझिल सा है लगता

मजा है साथ चलने में आकर साथ तो देखो

इस जग से बहुत सुंदर है ख्वाबों की वो दुनिया

कभी साए में ख्वाबों की बिताकर रात तो देखो

उनकी फितरतों में छल न धोखा, स्वार्थ होता है

गरीबों की तरफ एक बार बढा़कर हाथ तो देखो

गरीबी और लाचारी में उलझा है यहाँ भारत

जरा नेताओं के घर जाकर ठाठ-बाट तो देखो

जहाँ वर्षों से कोई भी गुल है खिल नहीं पाया

खिलाने को वहां पर पुष्प कर शुरूआत तो देखो

जिनके हाल पर हंसने की तुमको हो गई आदत

जरा एक बार अपना कर वही हालात तो देखो

जो नफरत से भरे हैं प्यार से नफरत को छोडे़ंगे

उनको प्रेम का एक बार पढा़कर पाठ तो देखो

— विक्रम कुमार

विक्रम कुमार

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