राजनीति

युवा दिवस और नागरिक संशोधन कानून ( CAA )

१२ जनवरी १८६३ को स्वामी विवेकानंद का जन्म कोलकाता में हुआ उनके जन्मदिवस को युवा दिवस के रूप में पुरे देश में मनाया जाता है . स्वामी विवेकानंद को दुनिया विश्व शिक्षक ( Universal Teacher ) के रूप में भी जानती है .
१८९३ में शिकागो में विश्व धर्म महासभा में दिए गए उनके भाषणों को सारी दुनिया ने स्वीकार किया और हिन्दू धर्म का महत्व और उसकी विशेषताओं को दुनिया ने जाना , समझा . स्वामी विवेकानंद कहते थे ,” एक क्रिस्चियन हिंदू या बौद्ध हो जाए और एक हिंदू बौद्ध या क्रिस्चियन हो जाए इससे कोई बात नहीं बनेगी । शीघ्र ही सारे प्रतिरोधों के बावजूद, प्रत्येक धर्म की पताका पर यह स्वर्णअक्षरों में लिखा होगा-‘युद्ध नहीं, सहायता’, ‘विनाश नहीं, सृजन’, ‘कलह नहीं, शांति’ और‘मतभेद नहीं, मिलन !’ 11 सितम्बर, 1893 को अमेरिका के शिकागो में विश्व धर्म सम्मेलन के पहले दिन स्वामी विवेकानन्द ने अपने सात मिनट के छोटे से व्याख्यान से दुनिया को जीत लिया था .
शिकागो में विश्व धर्म सम्मेलन के अपने भाषण में विवेकानंद ने कहा था कि हम सिर्फ सार्वभौमिक सहनशीलता में ही केवल विश्वास नहीं रखते हैं । बल्कि हम दुनिया के सभी धर्मों को सत्य के रूप में स्वीकार करते हैं । मैं गर्व करता हूं कि मैं एक ऐसे देश से हूं, जिसने इस धरती के सभी देशों और धर्मों के परेशान और सताए गए लोगों को शरण दी है । ‘केवल हमारा ही मत सर्वश्रेष्ठ है बाकी सब गलत’, ईसाई और मुस्लिमों की ऐसी कट्टरता ही मानव इतिहास में रक्तपात और हत्याआं के लिए कारणीभूत है, इस बात से स्वामी विवेकानन्द अवगत थे । कट्टर विचारधारा कहती है- ‘केवल यही’, सर्वसमावेशक चिंतन कहता है ‘यह भी’। सर्वसमावेशक चिंतन के कारण हिंदुओं ने दूसरों की मान्यताओं को नष्ट करने का प्रयास कभी नहीं किया ।

युवा दिवस और नागरिक संशोधन कानून ( CAA )

उन्होंने कहा कि यह बताते हुए मुझे गर्व हो रहा है कि हमने अपने हृदय में उन इजराइलियों की पवित्र स्मृतियां संजोकर रखी हैं, जिनके धर्म स्थलों को रोमन हमलावरों ने तोड़-तोड़कर खंडहर में तब्दील कर दिया था । इसके बाद उन्होंने दक्षिण भारत में शरण ली थी ।
स्वामी विवेकानंद ने कहा था कि सभी धर्मों के लोगों को शरण दी । मुझे इस बात का गर्व है कि मैं जिस धर्म से हूं, उसने महान पारसी धर्म के लोगों को शरण दी । इसके बाद अभी भी उन्हें पाल रहा है । इसके बाद विवेकानंद ने कुछ श्लोक की पंक्तियां भी सुनाई थीं ।
रुचीनां वैचित्र्यादृजुकुटिलनानापथजुषाम्। नृणामेको गम्यस्त्वमसि पयसामर्णव इव ।।
श्लोक का ये है मतलब:
जैसे नदियां अलग अलग स्रोतों से निकलती हैं और आखिर में समुद्र में जाकर मिलती हैं। वैसे ही मनुष्य अपनी इच्छा के अनुरूप अलग-अलग रास्ते चुनता है ।
उन्होंने कहा, ‘लंबे समय से कट्टरता, सांप्रदायिकता, हठधर्मिता आदि पृथ्वी को अपने शिकंजों में जकड़े हुए हैं । इन सभी ने धरती को हिंसा से भर दिया है । कई बार धरती खून से लाल हुई है । इसके अलावा काफी सभ्यताओं का विनाश हुआ है और न जाने कितने देश नष्ट हो गए हैं ।
आज स्वामी विवेकानंद के इन्ही विचारो को कर्म रूप में देखा जाए तो आज का नागरिक संशोधन कानून है जो कट्टरवादी धर्मान्धी लोगो के कारन सताए हुए है उनको भारत आज फिर से सहारा दे रहा है | दुनिया जानती है की इस्लामिक मुल्क पाकिस्तान , बांग्लादेश और अफगानिस्तान में गैर मुस्लिमों की स्थिति कितनी भयावह और दयनीय है वहां के अल्पसंख्यक नरक में जीने को मजबूर है अल्पसंख्यकों पर अत्याचार, बलात्कार, खून खराबा, लुट वहां के रोज की बात है नागरिक संशोधन कानून उनके लिए इस नरक से मुक्ति का रास्ता और नए जीवन का सहारा बनकर आया है |

महेश गुप्ता

नागपुर से हूँ. एक आईटी कंपनी में अकाउंटेंट के रूप में कार्यरत हूँ . मेरा मोबाइल नंबर / व्हाट्स अप्प नंबर ८६६८२३८२१० है. मेरा फेसबुक पेज https://www.facebook.com/mahesh.is.gupta