अंतरराष्ट्रीय हिंदी-संगोष्ठी में सम्मानित हुए डॉ दिग्विजय शर्मा
हिंदी भारत की भौगोलिक परिधि से बाहर निकल कर पूरे विश्व में अपनी विशिष्ट पहचान बना रही है, लेकिन हिंदी का साहित्य और संपर्क भाषा बनना ही पर्याप्त नहीं है। संस्कृति विश्वविद्यालय, मथुरा (उत्तर प्रदेश) के कुलपति डॉ राणा सिंह ने अपने उद्बोधन में कहा। स्थानीय सेक्टर 1, पार्ट 2 स्थित अंतरराष्ट्रीय सांस्कृतिक केंद्र मनुमुक्त भवन में ‘देश में हिंदी, विदेश में हिंदी’ विषय पर रविवार को आयोजित अंतरराष्ट्रीय विचार-गोष्ठी में बतौर मुख्य अतिथि बोलते हुए उन्होंने कहा कि कौशल-विकास के इस युग में विज्ञान, तकनीकी और प्रौद्योगिकी से जुड़कर ही हिंदी सही अर्थ में समृद्ध भाषा बन सकती है। ओस्लो (नार्वे) से पधारे सुप्रसिद्ध साहित्यकार और पत्रकार डॉ सुरेशचंद्र शुक्ल ने हिंदी को विश्व की संपर्क भाषा बताते हुए कहा कि यह एक करोड़ प्रवासी भारतीयों के माध्यम से विश्व को भारत और भारतीय संस्कृति से जोड़ने का महत्वपूर्ण कार्य कर रही है। सिंघानिया विश्वविद्यालय, पचेरी बड़ी (राजस्थान) के कुलपति डॉ उमाशंकर यादव ने अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में कहा कि हिंदी मात्र भाषा नहीं है, बल्कि भारतीय संस्कृति की संवाहक भी है। उन्होंने स्पष्ट किया कि हिंदी को जाने बिना भारत की 5000 वर्ष पुरानी संस्कृति को जानना- समझना संभव नहीं है।
इस अंतरराष्ट्रीय आयोजन में संजय पाठक द्वारा प्रस्तुत प्रार्थना-गीत के उपरांत चीफ ट्रस्टी डॉ रामनिवास ‘मानव’ के प्रेरक सान्निध्य तथा डॉ पंकज गौड़ के कुशल संचालन में संपन्न हुई इस विचार-गोष्ठी में नौसोरी (फिजी) की सुएता दत्त चौधरी, केंद्रीय हिंदी संस्थान आगरा के विशिष्ट अतिथि वक्ता के रूप में डॉ दिग्विजय शर्मा तथा इफ़को, नई दिल्ली के साहित्य, कला और संस्कृति प्रकोष्ठ के अध्यक्ष नलिन विकास ने भी हिंदी के विभिन्न पक्षों की चर्चा करते हुए वैश्विक परिदृश्य में हिंदी की बढ़ती भूमिका एवं महत्व पर प्रकाश डाला। इस अवसर पर अलवर के वरिष्ठ कवि संजय पाठक ने कविता के माध्यम से हिंदी भाषा के स्वरूप एवं महत्व को स्पष्ट किया, वहीं बाबा खेतानाथ महिला महाविद्यालय, भीटेडा (राजस्थान) के प्राचार्य डॉ सुमेरसिंह यादव ने संगोष्ठी में हुई चर्चा का समाहार प्रस्तुत करने के बाद धन्यवाद ज्ञापित किया।
ये हुए सम्मानित, संगोष्ठी में मथुरा (उत्तर प्रदेश) के डॉ राणा सिंह को ‘डॉ मनुमुक्त ‘मानव’ शिखर-सम्मान’ प्रदान किया गया, वहीं ओस्लो (नार्वे) के डॉ सुरेशचंद्र शुक्ल, नौसोरी (फिजी) की सुएता दत्त चौधरी, ढाका (बांग्लादेश) की नरगिस सुल्ताना, आगरा (उत्तर प्रदेश) के डॉ दिग्विजय शर्मा और नई दिल्ली के नलिन विकास को ‘डॉ मनुमुक्त ‘मानव’ हिंदी-मित्र सम्मान’ से नवाजा गया।
इस अवसर पर शहर के व अनेक स्थानों से पधारे प्रबुद्ध व्यक्तियों की उपस्थित रही। हिंदी भाषा की वैश्विक स्थिति पर केंद्रित इस महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी में जिला बाल कल्याण अधिकारी विपिन शर्मा, पार्षद व निगरानी समिति के अध्यक्ष महेंद्रसिंह गौड़, बैंक प्रबंधक बी एस यादव, हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड के पूर्व उपसचिव दुलीचंद शर्मा, डॉ जितेंद्र भारद्वाज, अहमदाबाद (गुजरात) के सुबेसिंह यादव, राष्ट्रीय शिक्षक-पुरस्कार विजेता राजेश कुमार शर्मा, किशनलाल शर्मा, परमानन्द दीवान, नंदलाल खामपुरा, राधेश्याम गोमला, डॉ कांता भारती, कृष्णकुमार शर्मा, बनवारीलाल शर्मा, केएस राव, हजारीलाल महावर, महेंद्रसिंह यादव, सत्यवीर चौधरी, गिरधारीलाल दायमा आदि गणमान्य नागरिकों की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।