गीत/नवगीत

अनुरोध

हिय!निवेदन एक तुमसे,मत व्यथा के गीत गाना।
प्राण में भरकर अमिय प्रिय,इस जगत को है हँसाना।।

स्वार्थ में डूबे मनुज को,
आभास है क्या त्याग का।
मीत को जो छ्ल रहा नित,
है अरि वही अनुराग का।
सुप्त क्यों शुचि भावनाएँ,मन! तनिक इनको जगाना।।
प्राण में भरकर अमिय प्रिय,इस जगत को हैै हँसाना।।

ईश की अनमोल कृति हो,
हर हृदय में प्यार भर दो।
स्वप्न आँखों में सजाओ,
हो सजग साकार कर दो।
है सरल विध्वंस करना,किंतु दुष्कर है बनाना।।
प्राण में भरकर अमिय प्रिय,इस जगत को है हँसाना।।

दग्ध तन-मन हो रहे हैं,
द्वेष की ज्वाला प्रबल हैै।
चित्त व्याकुल क्षुब्ध जीवन,
कंठ में सबके गरल हैै।
दंभ के रथ पर न बैठो,छोड़ जब सर्वस्व जाना।।
प्राण में भरकर अमिय प्रिय,इस जगत को है हँसाना।।

हो सुरभिमय सृष्टि सुन्दर,
शुभ सर्वदा चहुँओर हो।
दूर हो दुख क्लेश कटुता,
अपनत्व की मृदु डोर हो।
ओ!मधुर सुख-सम्पदाओं!हो सके हर द्वार आना।।
प्राण में भरकर अमिय प्रिय,इस जगत को है हँसाना।।

आनंद के उद्गम बनें,
हम स्रोत हों उत्साह के।
दें तिलांजलि हम तिमिर को,
हों दिव्य दीपक राह के।
हो ‘अधर’ पर प्रीति अरुणिम,चाहते निधि मात्र पाना।।
प्राण में भरकर अमिय प्रिय,इस जगत को है हँसाना।।

शुभा शुक्ला मिश्रा ‘अधर’

शुभा शुक्ला मिश्रा 'अधर'

पिता- श्री सूर्य प्रसाद शुक्ल (अवकाश प्राप्त मुख्य विकास अधिकारी) पति- श्री विनीत मिश्रा (ग्राम विकास अधिकारी) जन्म तिथि- 09.10.1977 शिक्षा- एम.ए., बीएड अभिरुचि- काव्य, लेखन, चित्रकला प्रकाशित कृतियां- बोल अधर के (1998), बूँदें ओस की (2002) सम्प्रति- अनेक समाचार पत्रों एवं पत्रिकाओं में लेख, कहानी और कवितायें प्रकाशित। सम्पर्क सूत्र- 547, महाराज नगर, जिला- लखीमपुर खीरी (उ.प्र.) पिन 262701 सचल दूरभाष- 9305305077, 7890572677 ईमेल- [email protected]