गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल 

होता है नूरानी मंज़र
मेरे घर जब तुम आते हो

दर्पण कुछ बोले तो कैसे
दर्पण से क्या कह जाते हो

मीठी बातों का विष तीखा
इनको अमृत बतलाते हो

फूलों से खिल जाते हो तुम
फूलों से ही मुरझाते हो

माँ के आँचल से बढ़कर क्या
माँ का आँचल ठुकराते हो

— बलजीत सिंह बेनाम

बलजीत सिंह बेनाम

सम्प्रति:संगीत अध्यापक उपलब्धियाँ:विविध मुशायरों व सभा संगोष्ठियों में काव्य पाठ विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित विभिन्न मंचों द्वारा सम्मानित आकाशवाणी हिसार और रोहतक से काव्य पाठ सम्पर्क सूत्र:103/19 पुरानी कचहरी कॉलोनी हाँसी:125033 मोबाईल:999626610