कविता

हौसला

जीवन की बंजर धरती में
उम्मीदें उग आयेंगी
रहा यही हौसला तो
मुश्किलें भी डर जायेंगी
हार से न घबरायेंगे
बस लड़ते जायेंगे
जब तक मंजिल न मिल जाएँ
आगे बढते जायेंगे
छलछंदों से बनूं विजेता
ये मुझको स्वीकार नहीं
कोशिश अपनी अभिमन्यु सी हो
बस इतनी अभिलाषा है।।

— दीपक तिवारी “दीप”

दीपक तिवारी "दीप"

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