राजनीति

नागरिकता कानून के विरोध के नाम पर मुस्लिम तुष्टीकरण की विकृत राजनीति

संसद से पारित नागरिकता संशोधन विधेयक केे खिलाफ देशभर में विरोध प्रदर्शन लगातार जारी हैं और लखनऊ के घंटाघर से लेकर दिल्ली के शाहीन बाग तक महिलाएं अपने बच्चों को लेकर धरने पर बैठ गयी हैं। सीएए के खिलाफ जिस प्रकार से धरना प्रदर्शन व विरोध आंदोलन आदि चल रहे हैं उससे यह साफ पता चलता है कि यह सीएए विरोधी आंदोलन नहीं है अपितु अपराधी तत्वों का संगठित गिरोह अपने राजनैतिक आकाओं को मुद्दे प्रदान करने के लिए आंदोलन कर रहा है। सीएए के विरोध मेें चल रहे आंदोलन हिंदू विरेाधी, देश विरोधी व संविधान विरोधी मानसिकता का प्रतीक बन गये हैं। सीएए का विरोध करने वाले राजनैतिक दल जब संसद से सुप्रीम कोर्ट तक कुछ नहीं कर पाये और सरकार के मजबूत इरादों को हिला नहीं सके, तब इन पराजित, निराश और हताश लोगों ने महिलाओं और बच्चोें को आगे करके अपना राजनैतिक स्वार्थ साधने का बहुत ही गहरा षड्यंत्र रच दिया है।
सीएए विरोधी ताकतें यह सोचकर प्रतिदिन तीखा विरोध और बयानबाजी कर रहे हैं कि किसी न किसी प्रकार कहीं गोली कांड हो जाये, गोधरा हो जाय और फिर उसके बाद पूरा देश जल उठे। तब देशविरोधी ताकतें एकजुट होकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और भाजपा तथा संघ के खिलाफ बेहद तीखे तेवर अपनाकर सरकार को बदनाम करने का खेल खेल सकें। आज धरना प्रदर्शन का ऐसे लोग नेतृत्व कर रहे हैं जिनको अनुच्छेद-370 हटाने, तीन तलाक की प्रथा के समाप्त होने और अयोध्या में सुप्रीम कोर्ट से श्रीरामजन्मभूमि के पक्ष में आया फैसला और उसके बाद देशभर में व्याप्त शांति का वातावरण रास नहीं आ रहा। सरकार व भारतीय जनता पार्टी का पूरा नेतृत्व तथा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ सहित समस्त समवैचारिक संगठन देशभर में सीएए के समर्थन में जनजागरण अभियान लगातार चला रहे हैं तथा सीएए के समर्थन में बड़ी रैलियां व जनसंपर्क अभियान चलाये जा रहे हैं। बार-बार यह साफ किया जा चुका है कि यह कानून किसी की भी नागरिकता लेने का नहीं अपितु देने का कानून है, फिर भी इन लोगों को समझ में नहीं आ रहा है। अब यह साफ हो गया है कि महिलाओं व बच्चों को आगे करके चलाया जा रहा यह अभियान विरोधी दलांे का एक सुनियोजित गहरा षड्यंत्र है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारतीय जनता पार्टी की संसदीय दल की बैठक में इस कानून के पक्ष में अपन तीखे तेवर दिखा दिये हैं ओैर संसद के अंदर व बाहर इस विषय पर आक्रामक रहने और फ्रंटफुट पर खेलने का आदेश दिया है। दिल्ली विधानसभा चुनावांे की रैलियों में भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शाहीन बाग जेैसे प्रदर्शनकारियों के खिलाफ अपने तीखे तेवर जता दिये हंै। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सीएए विरोधी प्रदर्शनों को साजिश बताते हुए कहा है कि यदि यह सिर्फ्र एक कानून का विरोध होता, तो सरकार के आश्वासन के बाद समाप्त हो जाता। प्रदर्शन में संविधान और तिरंगे को आगे रखते हुए ज्ञान बांटा जा रहा है। उनका यह कहना बिलुकल सही है कि शाहीन बाग संयोग नहीं, सौहार्द्र बिगाडने का प्रयोग है। विरोधी ताकतें आज पूरी ताकत के साथ देश का सौहार्द्र बिगाडने के लिए नित नये प्रयोग कर रही हैं। जामिया से लेकर मुंबई के आजाद मैदान तक ‘हम लेकर रहेंगे आजादी’ जैसे घातक नारे लगाये जा रहे हैं।
इन नारों का समर्थन भारतभर में फैली तथाकथित धर्मनिरपेक्ष राजनैतिक ताकतें कर रही हैं। चुनावी रैलियों से लेकर संसद व सोशल मीडिया में हिंदू विरोधी व मजबूत सरकार विरोधी ताकतें मुस्लिम तुष्टीकरण की विकृत राजनीति में अपनी सुधबुध खो बैठी हंै। इन ताकतों को लग रहा है कि वह इस प्रकार की ओछी बयानबाजियों से देश के मुस्लिम समाज का दिल जीतकर फिर से सत्ता में वापसी करके अपना गंदा खेल सकंेगे, परन्तु अब वह संभव नहीं है। विरोधी दलों के नेताओं ने सीएए के विरोध के नाम पर केवल हिंदू समाज को गहरी चोट पहंुचाने का ही काम किया हेै। बयानबाज नेताओं के चलते कहीं ऐसा न हो कि हिंदू समाज एक बार फिर पूरी ताकत के साथ उठ खड़ा हो और इन ताकतों को पूरी तरह मिट्टी में मिला दे। सर्वाधिक विकृत बयानबाजी उप्र के सपा और बसपा सहित क्षेत्रीय दलों के नेताओं की हो रही है।
उप्र की राजनीति में अपनी जमीन पूरी तरह से गंवा बैठी बसपा नेत्री मायावती को पाकिस्तान में हिंदू दलित बेटियों के साथ हो रहे बलात्कार व उनके धर्म परिवर्तनों पर दर्द नहीं हो रहा, अपितु इसके विपरीत जाकर वह बेहद खतरनाक बयान दे रही हैं कि सीएए की आढ़ में मुस्लिमों पर अत्याचार हो रहा है। वह परोक्ष रूप से बांग्लादेशी घुसपैठियों को भी नागरिकता देने की मांग कर रही है। यही हाल सपा और कांग्रेस के नेताओं का है। सभी दलों में सीएए के विरोध के नाम पर मुस्लिम समाज मंे भय और झूठ का जहर बोया जा रहा है। इन दलों ने 70 साल तक देशभर के मुसलमानों का केवल संघ का भय दिखाकर अपने स्वार्थों की पूर्ति के लिए उपयोग किया है। लेकिन अब देश का मुसलमान बदलाव चाहता है। प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव भी अपनी जमीन पाने के लिए बुरी तरह तड़प रहेे हैं। सीएए के विरोध प्रदर्शनों के बहाने वह भी मुस्लिम समाज के हितैषी बनना चाहते हंै। वह सीएए के खिलाफ धरने पर बैठी महिलाओं की तुलना झांसी की रानी लक्ष्मीबाई से कर रहे है। जिससे पता चल रहा है कि उनकी मानसिकता कितनी घातक हो चुकी है। वह भाजपा व संघ को कोरोना वायरस कह रहे हैं। उन्होंने अपनी विकृत मानसिकता के चलते ही योगी जी की गंगा यात्रा और उसके बहाने हिंदू जनमानस का गहरा अपमान करने में कोई हिचक नहीं दिखाई। लखनऊ का घंटाघर और दिल्ली का शाहीन बाग इन दलोें के नेताओं का पर्यटन स्थल बन चुका है। इन सीएए विरोधी नेताओं को अच्छी तरह से यह समझ लेना चाहिए कि यह पूरी तरह से बदली हुई बहुत ही मजबूत इरादों वाली सरकार है। यह सरकार ऐसे धरना-प्रदर्शनों व हिंसा से नहीं डोलनेे वाली।
यह दल सीएए के विरोध के नाम पर जिस प्रकार का नंगा नाच सड़क से लेकर संसद तक कर रहे हैं वह अधिक दिनों तक चलने वाला नहीं है। अब समय आ गया है कि देश का हिंदू समाज पूरी ताकत से एकजुट हो और जाग्रत होकर पीएम नरेंद्र मोदी व भारतीय जनता पार्टी का साथ दे, नहीं तो आने वाले समय में पता नहीं कितने शाहीन बाग देखने को मिलेंगे। हर जगह, हर क्षण सभी को यह बार-बार बताया जा रहा है कि यह कानून किसी की नागरिकता को छीनता नहीं, अपितु देने वाला है। सबसे बड़ी बात यह भी है कि यह कानून आम भारतीय नागरिकों को किसी भी प्रकार से प्रभावित नहीं कर रहा है। जो लोग धरने पर बैठे हैं व उनके राजनैतिक आकाओं की नागरिकता की जांच होनी चाहिये।
— मृत्युंजय दीक्षित