हास्य व्यंग्य

व्यंग – बेंगलुरू में टच स्क्रीन वाले रेस्तराँ

बेंगलुरू में टच स्क्रीन वाले रेस्तराँ का शुभारंभ कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरू ढ़ेर सारे सेल्फ सर्विस होटलों, बाग – बगीचों, पुराने विशाल पेड़ों के अलावा, शहर और गांव की मिली – जुली संस्कृति का सुंदर संगम देखने को मिलता है। यहां का मौसम 10 महिने सर्द, सुहाना, लुभावना रहता है। आईटी हब के अलावा इसकी प्रसिद्ध ‘ गार्डन सिटी ‘ के तौर पर भी है। देश – विदेश के पर्यटकों के लिए बेंगलुरू आकर्षण का मुख्य केंद्र बन चुका है। इस शहर की आन – बान – शान – पहचान में नया नाम जुड़ गया है, शुद्ध भारतीय व्यंजनों वाले रेस्तराँ ‘ समथिंग स्पेशल ‘ का। विश्व की सबसे पहली मानव और रोबोट रहित रेस्तराँ का उद्‌घाटन बेंगलुर की बेटी सुप्रसिद्ध सिने सितारा दीपिका पादुकोण और उनके पति अभिनेता रणवीर सिंग के कर कमलों से करवाया गया है। सम्पूर्ण स्वदेशी तकनीशियनों द्वारा निर्मित इस आलिशान, वातानुकूलित रेस्तराँ को 20 वीं सदी में 21 वीं सदी का चमत्कार कहें तो अतिशयोक्ति नहीं होगी। इस अज़ब – गज़ब रेस्तराँ की खूबी, ख़ासियत यह है कि यहां पर काम करता कोई कर्मचारी, व्यवस्थापक, मालिक, रसोईया आदि कोई स्री – पुरूष या यंत्रमानव नज़र नहीं आएगा। रेस्तराँ के बाहर कोई चौकीदार तक तैनात नहीं दिखेगा। इसके बावजूद सारे कार्य सुनियोजित, सुचारु ढ़ंग से होते रहते हैं। कहीं कोई गड़बड़ी या चूक नहीं होती है। ग्राहकों को शिकायत करने का कोई मौका तक नहीं मिलता। ग्राहकगण हैरान होकर अदृश्य शक्तियों को खोजने का असफल प्रयास करके थक जाते हैं। इस रेस्तराँ के वैविध्य , विशिष्ट व्यंजन हैं, कर्नाटकी येनेगायी ( बैंगन करी ), रागी रोटी, राईस रोटी, ज्वारी रोटी, लज्जतदार कांग्रेस ( मूंगफली, मक्खन और टेस्टी मसालों के साथ बनाई गई ) सादा / मसाला / बेन्ने डोसा की स्वादिष्ट 110 किस्में, पुलियोगेरे ( लोकप्रिय बंगलुरू ब्रांड ), घी में पके सकेरे आदि आदि के अलावा सुगंधित , स्फूर्तिदायक उडुपी फिल्टर कॉफ़ी। सभी भारतीयों को ध्यान में रखकर, उनके परम्परागत विविध व्यंजन परोसे जाते हैं। शराब, बीयर आदि नशीले पेय और मांसाहार यहां वर्जित है। शुद्ध, ठेठ देसी खाद्य पदार्थों के साथ पीने के नाम पर चाय, कॉफ़ी, छाछ, लस्सी, ठण्डाई, शरबत,लींबू पानी, सत्तु आदि उपलब्ध हैं। साफ – सुथरे, सुसज्जित रेस्तराँ में प्रवेश करते ही भीनी – भीनी सुगंध से ग्राहकों का स्वागत होता है। सभी प्रकार के ग्राहकों की सुविधा को ध्यान में रखकर हर टेबुल के साथ अत्याधुनिक ‘ टच स्क्रीन ‘ को जोड़ा गया है। इस में व्यंजनों की भरमार वाली लंबी – चौड़ी लिस्ट मौजूद है। कुछ उदाहरण प्रस्तुत हैं , सिंधी समुदाय के लिए दाल – पकवान, दाल – छोला – ढ़ॿल, कोकी, सीरो – मालपुड़ो, बेह – बसर , कचौड़ी – बसर, कढ़ी – चांवर आदि। मारवाड़ियों का दाल – बाटी – चूरमा, गट्‌टे, मिर्ची बड़ा, पितौड़, मूली – पालक, पचकूटा, कबूली, बीये की त्यारी, चक्की की सब्ज़ी आदि। मराठीयों का मिसल – पाव , भेल – परी, पाव – भाजी बटाटा वड़ा, कांदा भज्जी, कांदा पोहा, झुणका – भाकर, साबूदाना – खिचड़ी, श्रीखंड आदि। पंजाबियों की चाट , छोले – भटूरे, सरसों दा साग , मक्के दी रोटी , आलू परांठा, नमकीन / मीठी लस्सी आदि आदि। शुभारंभ कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरू ढ़ेर सारे सेल्फ सर्विस होटलों, बाग – बगीचों, पुराने विशाल पेड़ों के अलावा, शहर और गांव की मिली – जुली संस्कृति का सुंदर संगम देखने को मिलता है। यहां का मौसम 10 महिने सर्द, सुहाना, लुभावना रहता है। आईटी हब के अलावा इसकी प्रसिद्ध ‘ गार्डन सिटी ‘ के तौर पर भी है। देश – विदेश के पर्यटकों के लिए बेंगलुरू आकर्षण का मुख्य केंद्र बन चुका है। इस शहर की आन – बान – शान – पहचान में नया नाम जुड़ गया है, शुद्ध भारतीय व्यंजनों वाले रेस्तराँ ‘ समथिंग स्पेशल ‘ का। विश्व की सबसे पहली मानव और रोबोट रहित रेस्तराँ का उद्‌घाटन बेंगलुर की बेटी सुप्रसिद्ध सिने सितारा दीपिका पादुकोण और उनके पति अभिनेता रणवीर सिंग के कर कमलों से करवाया गया है। सम्पूर्ण स्वदेशी तकनीशियनों द्वारा निर्मित इस आलिशान, वातानुकूलित रेस्तराँ को 20 वीं सदी में 21 वीं सदी का चमत्कार कहें तो अतिशयोक्ति नहीं होगी। इस अज़ब – गज़ब रेस्तराँ की खूबी, ख़ासियत यह है कि यहां पर काम करता कोई कर्मचारी, व्यवस्थापक, मालिक, रसोईया आदि कोई स्री – पुरूष या यंत्रमानव नज़र नहीं आएगा। रेस्तराँ के बाहर कोई चौकीदार तक तैनात नहीं दिखेगा। इसके बावजूद सारे कार्य सुनियोजित, सुचारु ढ़ंग से होते रहते हैं। कहीं कोई गड़बड़ी या चूक नहीं होती है। ग्राहकों को शिकायत करने का कोई मौका तक नहीं मिलता। ग्राहकगण हैरान होकर अदृश्य शक्तियों को खोजने का असफल प्रयास करके थक जाते हैं। इस रेस्तराँ के वैविध्य , विशिष्ट व्यंजन हैं, कर्नाटकी येनेगायी ( बैंगन करी ), रागी रोटी, राईस रोटी, ज्वारी रोटी, लज्जतदार कांग्रेस ( मूंगफली, मक्खन और टेस्टी मसालों के साथ बनाई गई ) सादा / मसाला / बेन्ने डोसा की स्वादिष्ट 110 किस्में, पुलियोगेरे ( लोकप्रिय बंगलुरू ब्रांड ), घी में पके सकेरे आदि आदि के अलावा सुगंधित , स्फूर्तिदायक उडुपी फिल्टर कॉफ़ी। सभी भारतीयों को ध्यान में रखकर, उनके परम्परागत विविध व्यंजन परोसे जाते हैं। शराब, बीयर आदि नशीले पेय और मांसाहार यहां वर्जित है। शुद्ध, ठेठ देसी खाद्य पदार्थों के साथ पीने के नाम पर चाय, कॉफ़ी, छाछ, लस्सी, ठण्डाई, शरबत,लींबू पानी, सत्तु आदि उपलब्ध हैं। साफ – सुथरे, सुसज्जित रेस्तराँ में प्रवेश करते ही भीनी – भीनी सुगंध से ग्राहकों का स्वागत होता है। सभी प्रकार के ग्राहकों की सुविधा को ध्यान में रखकर हर टेबुल के साथ अत्याधुनिक ‘ टच स्क्रीन ‘ को जोड़ा गया है। इस में व्यंजनों की भरमार वाली लंबी – चौड़ी लिस्ट मौजूद है। कुछ उदाहरण प्रस्तुत हैं , सिंधी समुदाय के लिए दाल – पकवान, दाल – छोला – ढ़ॿल, कोकी, सीरो – मालपुड़ो, बेह – बसर , कचौड़ी – बसर, कढ़ी – चांवर आदि। मारवाड़ियों का दाल – बाटी – चूरमा, गट्‌टे, मिर्ची बड़ा, पितौड़, मूली – पालक, पचकूटा, कबूली, बीये की त्यारी, चक्की की सब्ज़ी आदि। मराठीयों का मिसल – पाव , भेल – परी, पाव – भाजी बटाटा वड़ा, कांदा भज्जी, कांदा पोहा, झुणका – भाकर, साबूदाना – खिचड़ी, श्रीखंड आदि। पंजाबियों की चाट , छोले – भटूरे, सरसों दा साग , मक्के दी रोटी , आलू परांठा, नमकीन / मीठी लस्सी आदि आदि।

ग्राहक अपनी पसंदीदा डिश देखने और ओर्डर करने के लिए ‘ टच स्क्रीन ‘ पर हिंदी के लिए बटन एक दबाएं। मराठी के लिए दो, कन्नड़ के लिए तीन, पंजाबी के लिए चार, मारवाड़ी के लिए पांच, गुजराती के लिए छह, अंग्रेजी के लिए सात ………..। अशिक्षितों और नेत्रहीनों के लिए सिर्फ़ बटन दबाकर बोलने की सुविधा है। मूक – बधिर उंगलियों के संकेतों से ओर्डर कर सकते हैं। ओर्डर देने के बाद , कुछ ही मिनटों में खाने – पीने की सारी चीजें टेबुल पर आ जाती हैं। अनुशासित ढ़ंग से मुस्तैदी के साथ किए गए अचूक कार्यों को देख कर ग्राहक अचंभित और आनंदित होते हैं।
इस रहस्यपूर्ण रेस्तराँ का रहस्य जानने के लिए इसके मालिक आलोक कुमार से फ़ोन पर सम्पर्क किया। उनसे बिनती की रेस्तराँ की कार्य पद्धति पर खुलासा करने की । लेकिन उन्होंने माफ़ी मांगते हुए किसी भी राज़ को खोलने से साफ मना कर दिया। बातचीत जारी रखते हुए मैंने अपनी जिज्ञासा प्रकट करते हुए उनसे कहा , “ ग्राहक अगर खा – पीकर, बिल का भुगतान किए बगैर भाग जाएं तो ? इस पर आलोक कुमार ने जोरों का ठहाका लगाया। मुझे समझाते हुए कहा, “ ग्राहकों से अनुरोध है कि इसे मुफ़्त का माल समझकर ओर्डर मत करें , वरना मुंह की खानी पड़ेगी। किसी ने भाग जाने की जुर्रत करने की कोशिश की तो मुख्य दरवाज़ा अपने आप बंद हो जाएगा। ऐसा दुस्साहस दिखाने पर सज़ा भी मिलेगी। उसके बाद उसे बरसाना में खेली जाने वाली ‘ लट्‌ठमार ‘ होली की याद दिलाई जाएगी। अतः अपनी बेइज़्ज़ती कराने से ख़ुद को बचाएं। “
टोल फ्री नंबर 1800180000 पर भी संपर्क साध सकते हैं।
( भंग क तरंग में रंग कर, डूब कर लिखे व्यंग्य का सुधी पाठक गणों ने आनंद उठाया होगा। बुरा मत मानो। होली है ! )

— अशोक वाधवाणी 

अशोक वाधवाणी

पेशे से कारोबारी। शौकिया लेखन। लेखन की शुरूआत दैनिक ' नवभारत ‘ , मुंबई ( २००७ ) से। एक आलेख और कई लघुकथाएं प्रकाशित। दैनिक ‘ नवभारत टाइम्स ‘, मुंबई में दो व्यंग्य प्रकाशित। त्रैमासिक पत्रिका ‘ कथाबिंब ‘, मुंबई में दो लघुकथाएं प्रकाशित। दैनिक ‘ आज का आनंद ‘ , पुणे ( महाराष्ट्र ) और ‘ गर्दभराग ‘ ( उज्जैन, म. प्र. ) में कई व्यंग, तुकबंदी, पैरोड़ी प्रकाशित। दैनिक ‘ नवज्योति ‘ ( जयपुर, राजस्थान ) में दो लघुकथाएं प्रकाशित। दैनिक ‘ भास्कर ‘ के ‘ अहा! ज़िंदगी ‘ परिशिष्ट में संस्मरण और ‘ मधुरिमा ‘ में एक लघुकथा प्रकाशित। मासिक ‘ शुभ तारिका ‘, अम्बाला छावनी ( हरियाणा ) में व्यंग कहानी प्रकाशित। कोल्हापुर, महाराष्ट्र से प्रकाशित ‘ लोकमत समाचार ‘ में २००९ से २०१४ तक विभिन्न विधाओं में नियमित लेखन। मासिक ‘ सत्य की मशाल ‘, ( भोपाल, म. प्र. ) में चार लघुकथाएं प्रकाशित। जोधपुर, जयपुर, रायपुर, जबलपुर, नागपुर, दिल्ली शहरों से सिंधी समुदाय द्वारा प्रकाशित हिंदी पत्र – पत्रिकाओं में सतत लेखन। पता- ओम इमिटेशन ज्युलरी, सुरभि बार के सामने, निकट सिटी बस स्टैंड, पो : गांधी नगर – ४१६११९, जि : कोल्हापुर, महाराष्ट्र, मो : ९४२१२१६२८८, ईमेल [email protected]