स्वार्थी लडकी
कैलाश अस्पताल में एडमिट था। फेसबुक वाट्सएप पर स्टेटस डाला तो लाइक इमोजि टेक केयर गेट वेल सून के रिप्लाइ मिलते रहे। एक अनजान लड़की की शिक्षा में कैलाश ने सहायता की थी एवं अब वह एक सरकारी विद्यालय में शिक्षिका भी थी। उसका कोई रिप्लाइ नहीं मिला। कैलाश विचार करने लगा कि लड़की का स्वार्थ पूरा हो गया अब वह क्यों याद करेगी ? स्वार्थी लड़की ! कुछ समय पश्चात् कैलाश आश्चर्यचकित रह जाता है जब वही स्वार्थी लड़की उसके कमरे में हाथ में टिफिन लेकर प्रवेश करती है। सिस्टर से पूछकर उसके लिए घर का बना खाना भी लेकर आई थी एवं अस्पताल में रात में रुकने के लिए अनुमति भी ले ली थी। बोली कि अन्कल इतनी सी सेवा तो मैं भी कर ही सकती हूँ। मेरी कालेज की फीस चुपचाप जमा करने वाले निस्वार्थ इनसान के लिए इतना सा करना तो मेरा फर्ज है। कैलाश एक सप्ताह अस्पताल में रहा एवं पूरे समय वह लड़की सेवा करती रही। अस्पताल से छुट्टी मिलने पर केलाश ने फेसबुक वाट्सएप पर मात्र इसी सेवा करने वाली लड़की को रखा एवं बाकी सभी को हटा दिया।
— दिलीप भाटिया
सराहनीय लघुकथा । बधाइयाँ ।