कविता

कविता

यकीनन
कारवां-ए-ज़िन्दगी
जब गुज़र गया होगा
तब हर तक़रीर को
उलट- पुलट के
पढ़ा गया होगा

कि बोल उठे होंगे
तब जज़्बात वह भी
जिनका इल्म हमें भी न रहा होगा
यकीनन
कारवां-के-ज़िन्दगी
जब गुज़र गया होगा
तब हर नादानी से भरी ज़िन्दगी को
संजीदगी से लिया होगा…

हर लफ्ज़ जो कह गए थे
हम ग़फ़लत में यूँ ही
मख़मली एहसास हो गया होगा
यकीनन
कारवां-के-ज़िन्दगी
जब गुज़र गया होगा…

तब दौड़ती-भागती सी
इस ज़िन्दगी का
हर लम्हा बेशकीमती ही लगा होगा
यकीनन
कारवां-ए-ज़िन्दगी
जब गुज़र गया होगा…

— ज्योति अग्निहोत्री

ज्योति अग्निहोत्री

माता का नाम: श्रीमती अशोक कुमारी चौबे पिता का नाम:श्री एम. लाल चौबे पति का नाम:श्री धीरज अग्निहोत्री स्थाई पता: श्री हरिविष्णुपुरम, महेरा फाटक इटावा, उत्तर प्रदेश फ़ोन नम्बर:8439671659; 9219116003 जन्म तिथि:14 जुलाई 1979 शिक्षा: बी. ए. (प्रतिष्ठा)इतिहास, मैत्रेयी कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय, .एम. ए.(हिन्दी),चौ. चरण सिंह विश्वविद्यालय बी. एड., डॉ. भीमरावअम्बेडकर विश्वविद्यालय पी. जी. डिप्लोमा अनुवाद (हिन्दी-अंग्रेज़ीऔर अंग्रेज़ी-हिन्दी), नॉर्थ कैम्पस, दिल्ली विश्वविद्यालय व्यवसाय: शिक्षक, सहायक अध्यापक, बेसिक शिक्षा परिषद, उत्तर प्रदेश प्रकाशन विवरण: ऑनलाइन प्रकाशन:स्टोरी मिरर-39 कविताएं; प्रतिलिपि-13 कविताएं एवं 3 लघुकथा साहित्यिक पत्रिका नारी शक्ति सागर: में "भीष्म नहीं तुम कृष्ण बनो" माही संदेश पत्रिका, जयपुर, राजस्थान ;हम हिन्दुस्तानी न्यूयॉर्क अमेरिका से प्रकाशित साप्ताहिक पत्र; घूँघट की बगावत, गोरखपुर से प्रकाशित साप्ताहिक पत्र आदि में कई कविताएं प्रकाशित।