कविता

क्या है तेरे मेरे दरमियां?

क्या है तेरे मेरे दरमियां?

कुछ तो है ऐसा
तेरे मेरे दरमियां,
जो परिभाषित नहीं
ना ही हो पाएगा कभी।
पहेली ही तो बनते
जा रहे, अपने खुद के
ही एहसास,
जिसे खो नहीं सकते
कभी, उसे खोने का
भय, कितना भहायव है
जो निचोड़कर रख देता
है खुद के ही वजूद को…
एक अजीब सा सन्नाटा
दिलों दिमाग में चीखने
सा लगा है…. आखिर क्यों?
क्या है तेरे मेरे दरमियां???
कौन हो तुम जिसके लिए
जीने की चाहत और
मर जाने की हिम्मत
एक साथ फन उठाए
खड़ी है नागिन जैसे।

क्यों हर घड़ी इंतजार
सा रहता है तेरे लिए ही
जबकि साया है तेरे ही
वजूद का मेरे रूह तक पर..
क्या है तेरे मेरे दरमियां????

कविता सिंह

पति - श्री योगेश सिंह माता - श्रीमति कलावती सिंह पिता - श्री शैलेन्द्र सिंह जन्मतिथि - 2 जुलाई शिक्षा - एम. ए. हिंदी एवं राजनीति विज्ञान, बी. एड. व्यवसाय - डायरेक्टर ( समीक्षा कोचिंग) अभिरूचि - शिक्षण, लेखन एव समाज सेवा संयोजन - बनारसिया mail id : [email protected]