सामाजिक

प्रसिद्धि समाज को बना रही संवेदनाहीन

सद्कार्य, दान ,उपकार आदि हर कार्य में कई लोगों को एक ही नशा रहता है, वह है प्रसिद्धि का नशा। अभिमान, प्रसिद्धि का नशा समाज में चारों ओर देखने को मिलता है। परोपकारी कार्य में लगे लोग अपनी पहचान, उपस्थिति, सम्मान, मंच, स्वागत आदि पर विशेष ध्यान देते हैं। और इस कारण होने वाला सेवा कार्य गौड़ होकर फोटो, मीडिया, मंच के इर्द-गिर्द घूमने लगता है। कार्य के प्रति कम सम्मान के प्रति ज्यादा ध्यान देते हैं। मेडिकल कैम्प, भोजन वितरण, वृक्षा रोपण आदि कार्य केवल कार्यक्रम मात्र बन जाते हैं। सेवा कार्य ही ईश्वरीय कार्य है। जब हम समाज को शिक्षित, संस्कारित, स्वावलंबी और समरस बनाने के लिए सेवा कार्य करते हैं तो उसी आनंद की अनुभूति करते हैं,जो ईश्वर की आराधना में प्राप्त होता है। किन्तु वर्तमान में कुछ कार्य सेवा की दृष्टि से कम, प्रतिस्पर्धा व दिखावा के लिए ज्यादा किये जाते हैं। ऐसे दिखावे वाले लोग प्रत्येक कार्यक्रम में मंत्री, विधायक, सांसद विशेष व्यक्ति के सम्मान, स्वागत, मंच, चित्र आदि की व्यवस्था में अधिक ऊर्जा व्यय करते हैं। जिस का प्रभाव यह देखने को मिलता है कि लोग इन आधुनिकता के कारण संवेदनाहीन हो रहे है। इसलिए लोग प्रसिद्धि परांगमुख होकर समाज कार्य करें तो वह अधिक प्रेरणा के पात्र बनेगें।

*बाल भास्कर मिश्र

पता- बाल भाष्कर मिश्र "भारत" ग्राम व पोस्ट- कल्यानमल , जिला - हरदोई पिन- 241304 मो. 7860455047