पर्यावरण

मछलियां भी सहयोग करती है स्वच्छता के कार्य में

माँ नर्मदा में मछलियों को पुण्य कार्य हेतु उन्हें आहार दिया जाता था। उसके बाद कई मछलियों को सोने की नथ पीना कर वापस नर्मदा के जल में छोड़ दिया जाता था। नर्मदा नदी में कई प्रकार की मछलियां पाई जाती है। इनमे से एक टाइगर फिश महाशिर मछली का दर्जा मध्यप्रदेश को प्राप्त है। विभिन्न कारणों से इस टाइगर फिश की बहुत ही कमी नर्मदा नदी में आई है। जो कि चिंता विषय है। कई तीर्थ स्थानों पर पर्यटन नगरी घोषित होने से भी मांसाहारी प्रवृति पर अंकुश लगा है. मछली जल को साफ़ रखने में अपनी अहम् भूमिका अदा करती आई है उसी सन्दर्भ में बहुत पहले गंगा नदी में डॉल्फिन मछलियाँ छोड़ी थी ताकि गंगा नदी का जल साफ़ हो सके ,कहते गंगा का पानी कभी ख़राब नहीं होता। किंतु प्रदूषणकारी संयंत्रों की वजह से रासायनिक पानी एवं अपशिष्ट डालते आ रहे है ऐसी परिस्थितियों को देखते हुए मछलियों को सफाई का जिम्मा सौपा गया था. हमारा मानना है की जीव – जंतुओं को अपना काम करने दे और हम भी स्वच्छता में अपना हाथ बटाए ,ताकि शुद्ध जल की प्राप्ति हो सकें।
— संजय वर्मा ‘दॄष्टि’

*संजय वर्मा 'दृष्टि'

पूरा नाम:- संजय वर्मा "दॄष्टि " 2-पिता का नाम:- श्री शांतीलालजी वर्मा 3-वर्तमान/स्थायी पता "-125 शहीद भगत सिंग मार्ग मनावर जिला -धार ( म प्र ) 454446 4-फोन नं/वाटस एप नं/ई मेल:- 07294 233656 /9893070756 /[email protected] 5-शिक्षा/जन्म तिथि- आय टी आय / 2-5-1962 (उज्जैन ) 6-व्यवसाय:- ड़ी एम (जल संसाधन विभाग ) 7-प्रकाशन विवरण .प्रकाशन - देश -विदेश की विभिन्न पत्र -पत्रिकाओं में रचनाएँ व् समाचार पत्रों में निरंतर रचनाओं और पत्र का प्रकाशन ,प्रकाशित काव्य कृति "दरवाजे पर दस्तक " खट्टे मीठे रिश्ते उपन्यास कनाडा -अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विश्व के 65 रचनाकारों में लेखनीयता में सहभागिता भारत की और से सम्मान-2015 /अनेक साहित्यिक संस्थाओं से सम्मानित -संस्थाओं से सम्बद्धता ):-शब्दप्रवाह उज्जैन ,यशधारा - धार, लघूकथा संस्था जबलपुर में उप संपादक -काव्य मंच/आकाशवाणी/ पर काव्य पाठ :-शगुन काव्य मंच