अपने ही हाथों छले जा रहे हैं।
अपने ही हाथों छले जा रहे हैं।
जाने कहाँ हम चले जा रहे हैं।।
टूटी सदा ख्वाहिशें ही हमारी,
आँखों में सपने पले जा रहे हैं।
अब तो नहीं रंजोगम कुछ हमें है,
दिन भी उम्र के ढले जा रहे हैं।
चाहेंगे हमको उसी रंग में पाना,
मुश्किल है अब हम गले जा रहे हैं।