सामाजिक

हर समस्या समाधान भी साथ लाती

सर्वे भवन्तु सुखिन:, सर्वे संतु निरामया।
सर्वे भद्राणि पश्यंतु; मा कश्चिद्दु:ख भाग्भवेद्।।
आज अचानक “कोरोना” नामक महामारी ने जिस प्रकार से विश्व की साढ़े सात अरब जनसंख्या को जीवन सुरक्षित बनाये रखने की भयावह चुनौती दे डाली है, निश्चित ही इससे इस संकट के कारण मानवीय जीवन अस्तित्व का एक ऐसा प्रश्न सम्मुख खड़ा हो गया है, जिसका समाधान स्वयं को स्वयंभू सर्वशक्तिमान मानने वालों की भी समझ में नहीं आ पा रहा है।
यह चुनौती है, उस अस्तित्व की, जिसे हम अपने अहं में भूलते चले जा रहे हैं; जिसे नजर-अंदाज कर हम मानवीयता को भूल गये और उन सब जीव-वस्तुओं का अस्तित्व अपने लाभ के लिए मिटाने पर तुले हैं, जिनकी सुरक्षा व विकास का दायित्व उस जन्मदाता ने एक बुद्धिजीवी मानव होने के नाते हमें दिया था। क्या हम उन अपेक्षाओं पर खरे उतर पा रहे हैं, यह स्वयं से ही पूछना होगा।
अब समय आ गया है, हमें पहले स्वयं अपने आप को सच्चे रूप में पहिचानने की। ताकि मानवीयता के नाते जो हमारे परमात्मा प्रदत्त दायित्व हैं, उनका बिना किसी लोभ लालच के पालन करते रहें। निश्चित ही हरेक इंसान एक ही तराजु में नहीं तौले जा सकते, अर्थात् एक ही दृष्टिकोण से सभी को नहीं देखा जा सकता; लेकिन कुछेक के अमानवीय कृत्य से परेशानी तो सबको उठानी ही पड़ती है।
अतः यह कभी न हो कि हम कभी भी ऐसा कार्य करें कि किसी को त्रृणमात्र भी कष्ट हो और न ही हमारे सम्मुख कुछ अशोभनीय या अमानवीय कार्य कोई कर सके, जिससे कि किसी को त्रृणमात्र भी क्षति पहुंचे।
स्वयं सुखी-संपन्न व प्रसन्न रहने का उपाय इससे कारगर कोई भी नहीं हो सकता कि हमेशा सभी जीव-जंतुओं को आत्मवत् मानकर उनकी यथायोग्य सेवा करते रहें, और अगर सेवा नहीं कर पाते तो किसी को अपने स्वार्थवश कोई कष्ट न दिया जाय। मानव शरीर के किसी भी अंग को प्रभु ने हिंसक नहीं बनाया, यदि हिंसक बना है, तो वह है हमारा मन; जो स्वार्थ, लोभ-लालच में हमें गलत कार्य के लिए उकसाता है। इसे नियंत्रित करने का प्रयास किया जाय, तो कोई कारण नहीं जीवन में कोई दुःख-कष्ट सताये।
मां क्वांरिका सबको सदा सद्मार्ग पर अग्रसर करें, सभी प्राणियों में स्वयं को ही जानें-पहिचाने, समस्त प्राणी जगत् का कल्याण करें। त्रृणमात्र भी किसी को कभी कोई कष्ट न हो, संपूर्ण विश्व में सुख-शांति और समृद्धि का साम्राज्य हो, इन्हीं सद्मंगलमय कामनाओं के साथ…
सर्व मंगल मांगल्ये, शिवे सर्वार्थ साधिके।
शरण्यै त्रयंबिके गौरि; नारायणि नमोस्तुते।।
विश्व व्याप्त इस महाबीमारी से डरें नहीं, अपितु इससे निजात पाने हेतु दिल से डटे रहें।
अपने अनुभव व विश्वास के आधार पर दावे के साथ कहता/लिखता हूं कि आजतक संसार में कोई भी समस्या ऐसी पैदा नहीं हुई है, जिसका कोई समाधान न हो, यह स्पष्ट है कि कोई समस्या पैदा होने से पहले उसका समाधान भी साथ लेके आती है, भले ही उस समाधान या उपाय पहिचानने में देरी लगे, पर यह शाश्वत सत्य कभी झूठा नहीं हो सकता।
क्योंकि ब्रह्माण्ड में सदा से दो ही तत्त्वों के मध्य संघर्ष रहा है, वह चाहे सत्य और असत्य का रहा हो या पाप और पुण्य का रहा हो अथवा जन्म और मृत्यु का रहा हो, परंतु अस्तित्व रहा है।
कोई कष्ट या परेशानी कब कितने समय तक रहेगी, इसका उतर यह समझने में आया है कि जब तक कृत शुभाशुभ कर्म का भोग शेष बचा हो तथा अपने दुष्कर्मों के लिए प्रायश्चित न कर लें और यह संकल्प न ले लें कि अब कभी-भी ऐसा नहीं करेंगे, जिससे दूसरे को कोई परेशानी हो। समय रहते परेशानी की जड़ तक न पहुंच जांय और उसका उपयुक्त समाधान न कर दें, तब तक और यह तभी समाधान तभी संभव है, जब उस पारब्रह्म को आपकी दिल से निकली अर्ज पर विश्वास हो जाय। अपने अच्छे-बुरे कर्म की याद भी संकट ही हमें देते हैं, कभी-कभी समस्याएं या परेशानियां भी सद्मार्ग पर ले जाने का कार्य करती हैं। हमारे धर्म शास्त्रों में ऐसे कई प्रेरणादायक उद्धरण प्रसंग हैं, जो हमें कठिनाइयों से मुक्ति दिलाने का काम करती हैं। इसलिए इससे घबरायें नहीं, बल्कि डट कर मुकाबला करें।।
— शम्भु प्रसाद भट्ट ‘स्नेहिल’

शम्भु प्रसाद भट्ट 'स्नेहिल’

माता/पिता का नामः- स्व. श्रीमति सुभागा देवी/स्व. श्री केशवानन्द भट्ट जन्मतिथि/स्थानः-21 प्र0 आषाढ़, विक्रमीसंवत् 2018, ग्राम/पोस्ट-भट्टवाड़ी, (अगस्त्यमुनी), रूद्रप्रयाग, उत्तराखण्ड शिक्षाः-कला एवं विधि स्नातक, प्रशिक्षु कर्मकाण्ड ज्योतिषी रचनाऐंः-क. प्रकाशितःः- 01-भावना सिन्धु, 02-श्रीकार्तिकेय दर्शन 03-सोनाली बनाम सोने का गहना, ख. प्रकाशनार्थः- 01-स्वर्ण-सौन्दर्य, 02-गढ़वाल के पावन तीर्थ-पंचकेदार, आदि-आदि। ग. .विभिन्न क्षेत्रीय, राष्ट्रीय, अन्तर्राष्ट्रीय स्तर की पत्र/पत्रिकाओं, पुस्तकों में लेख/रचनाऐं सतत प्रकाशित। सम्मानः-सरकारी/गैरसरकारी संस्थाओं द्वारा क्षेत्रीय, राष्ट्रीय, अन्तर्राष्ट्रीय स्तर के तीन दर्जन भर से भी अधिक सम्मानोपाधियों/अलंकरणों से अलंकृत। सम्प्रतिः-राजकीय सेवा/विभिन्न विभागीय संवर्गीय संघों तथा सामाजिक संगठनों व समितियों में अहम् भूमिका पत्र व्यवहार का पताः-स्नेहिल साहित्य सदन, निकटः आंचल दुग्ध डैरी-उफल्डा, श्रीनगर, (जिला- पौड़ी), उत्तराखण्ड, डाक पिन कोड- 246401 मो.नं. 09760370593 ईमेल [email protected]