भूल मुझसे हुई,प्यार तुझसे हुआ
पास रहतीं न तुम दीप जलाता न यों
प्राण , रहतीं न तुम प्यार पलता न यों।
रीति उनकी रही प्रीति जिसने न की,
प्रीति उसकी रही रीति जिनसे न की,
स्वप्न उसके हुए नींद जिसकी रही,
गीत उसके हुए नीति जिसने न की।
काश, मेरे नयन में समाती न तुम,
दूर रहतीं अगर प्राण जलता न यों।
भाव यों ही रहे स्वप्न बनते गये,
दूर मंजिल रही पांव चलते गये,
शूल से थीं डगर, प्राण !मेरी भरीं,
पांव छिलते रहे , अश्रु ढलते गये।
लघु प्रणय की तरी छोड़ जाती न तुम,
चक्र खाते भंवर बीच फंसता न यों।
हर कली को रहा मुस्कराना सदा,
हर कली को प्रणय कर बुलाता सदा,
भूल मुझसे हुई, प्यार तुझसे हुआ,
ध्येय जिसका रहा उर जलाना सदा।
व्यर्थ के गान यह आज़ बनते न यों,
सोच तुमको सदा अश्रु ढलता न यों।
— कालिका प्रसाद सेमवाल