अब भी मौका
अब भी मौका कर्म सुधारो प्रकृति नियम बिसराने वालों
खुद को खुदा मानकर के निज दौलत पर इतराने वालों
जीव जगत सबकी ही खातिर पुरखों ने कुछ नियम बनाए
उन नियमों का पालन सब जन सदियों से करते आए
अब एक दूजे की होड़ में आके कुदरत को ठुकराने वालों
अब भी मौका कर्म सुधारो….
अक्षर ज्ञान हुआ तो जग में नव विज्ञान का हुआ प्रसार
आवश्यकताएं पूरी करने में फिर जुट गया सारा संसार
संसाधन की चाहत में भक्ष्य अभक्ष्य सब खाने वालों
अब भी मौका कर्म सुधारो…
जल. जंगल. जमीन सब कुछ अपने कर्मों से किया बर्बाद
जीव जगत के चक्र को तोड़कर खुद को करते रहे आबाद
अल्टीमेटम के बाद भी प्रकृति पर सदा वज्र बरसाने वालों
अब भी मौका कर्म सुधारों..