शाम सुहानी
मेरी शाम सुहानी हो जाये
नानी एक कहानी हो जाये
कोई अच्छी सी
कोई सच्ची सी
जो गुज़री हो
कोई लम्बी सी
वही बात पुरानी हो जाये
नानी एक कहानी हो जाये
कोई सुख का हो
कोई दुःख का हो
जो नयन में अश्रु
बन छलका हो
मेरी आँख का पानी हो जाये
नानी एक कहानी हो जाये
कोई खेतों की
कोई हाटों की
कोई पनघट की
कोई घाटों की
तेरी अपनी बिरानी हो जाये
नानी एक कहानी हो जाये
कोई मौसी की
कोई मामा की
हो राधा की
या कान्हा की
कथ्य अल्हड़ जवानी हो जाये
नानी बस एक कहानी हो जाये
— मो. जहाँगीर ‘जहान’