लेख

कोरोना – चीन की कुटिल चाल

चीन दुनिया से अपने आप को छुपा के रखता है. यहां तक की गूगल फेसबुक भी अपने देश में इस्तेमाल नहीं करता. चीन हमेशा अपने देश की सभी बातों को दुनिया से छुपाता है. विश्व में लोग आज भी सर्च के लिए गूगल का इस्तेमाल करते हैं, जबकि चीन इस काम के लिए अपने बनाये ब्राउजर का उपयोग करता है. विश्व के 1.75 बिलियन लोग जहां व्हाट्सएप का उपयोग कर रहे है, चीन अपने बनाये V-Chat का उपयोग करता है. चीन ने इसे टक्कर देने के लिए Alibaba.com काम बना डाला. यह वही अलीबाबा है, जो सारी दुनिया में आज मास्क बाँट रहा है. चीन ने Gmail तक को देश में घुसने नहीं दिया. वहां आज मेसेज भेजने के लिए क्यू क्यू.काम का उपयोग होता है. जहाँ विश्व  से जुड़ने के लिए लोग फेसबुक का इस्तेमाल करते हैं, चीन रेन रेन का उपयोग करता है. यहाँ ट्विटर की जगह vivo का इस्तेमाल हो रहा है, ऑनलाइन वीडीओ के लिए जहाँ लोग यूटुब उपयोग करते हैं, चीन उसके बदले अपने यूक्यू उपयोग करता है. वीवो को भारत में लांच करने वाला चीन है, जबकि भारत के मोबाइल चीन में कभी लांच नहीं किये गए. यह देश अपने आप को दुनिया से छुपा के रखता है, ताकि किसी को पता न चले की चीन के अंदर क्या हो रहा है.

एक ऐसा देश जो पूरी तरह से गुप्त है, उसने जनवरी 2020 में दुनिया को यह एच डी वीडीओ बनाकर (क्यों) दिखाया कि उसके वुहान में कोरोना वायरस ने कहर ढा दिया है. अपनी हर बात दुनिया से छुपाने वाले चीन को दुनिया को यह सब दिखाने का मकसद क्या था ? चीन कोई भी बात देश से बाहर नहीं जाने देता, उसके सारे टीवी चैनल और समाचार पात्र चीनी भाषा में इसलिए होते हैं कि उसकी टेक्नोलॉजी और रिसर्च देश के बाहर न जाए. अचानक ऐसा क्या हो गया कि चीन ने कोरोना वायरस के वुहान में कहर ढाने के वीडीओ विश्व को दिखाने शुरू कर दिए ?

चीन को पूरी रिसर्च के बाद मालुम था, अब क्या होगा. जब तक पूरे विश्व की अर्थव्यवस्था को पाताल में नहीं पहुँच दिया. चीन पूरी दुनिया में इन्वेस्टर्स का हब बन गया था, वुहान में इस वायरस को छोड़ने के बाद हुई जबरदस्त मौतों के बाद जब इन्वेस्टर्स और विदेशी निवेशक वहां से जान बचा कर भागे, चीन ने उनके शेयर कौड़ियों के भाव खरीद लिए. 

एक प्रसिद्ध पत्रकार से जब सवाल किया गया कि क्या यह वायरस चीन की खतरनाक साजिश है, तो उसने बताया चीन ने सबसे पहले कोरोना से बचने का वायरस बनाया, उसे फ्रीजरों में संभाल के रखा, फिर उसे सोची समझी योजना के अनुसार अपने ही देश से फैलाने का काम शुरू किया, फिर उसे विश्व में फैलाने के लिए अपने नागरिक जिन्हें कुछ भी पता नहीं था, को वापस उन देशों में भेजा जहां से वह आये थे.

पूरी दुनिया इस समय कोरोना वायरस के प्रकोप से जूझ रही है. कुछ देश तो तबाही की कगार पर खड़े नजर आ रहे हैं. इनमें अमेरिका, इटली, स्‍पेन, जर्मनी, फ्रांस, ईरान की हालत सबसे ज्‍यादा खराब है. अमेरिका में अब तक 277475 तो इटली में 119827 लोग संक्रमित हो चुके हैं. स्‍पेन में संक्रमितों की संख्‍या लगातार बढ़ते हुए 119199 हो गई है.

उसने अपने कुछ आदमी मरवा के दुनिया की दौलत लूट ली. दूसरी और पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था पर जबरदस्त चोट कर डाली. चीन अपने मकसद में पूरी तरह से कामयाब हो चुका है.

चीन इस विपदा का खलनायक है. वहां से शंघाई की दूरी 840 किलोमीटर है, वहां से बीजिंग 1152 किलोमीटर, चीन से मिलान 15000 किलोमीटर जहाँ कोरोना यह दूरी नहीं तय कर पाया, पर वहां से 15000 किलोमीटर दूर न्यूयार्क, 8659 किलोमीटर दूर इटली, 9859 किलोमीटर दूर स्पेन, 8777 किलोमीटर दूर ब्रिटेन में तबाही मचा दी. आखिर ऐसा क्यों ?

अब चीन ने अपने फ्रीजरों में राखी वेक्सीन निकाली और अपने आदमियों का इलाज कर उन्हें ठीक कर लिया. कुछ दिन बाद दुनिया ने सुना कि चीन से कोरोना गायब हो गया है. अब वहां मरने वालों कि गिनती शून्य है. चीन में हालात नियंत्रण में आ गए हैं. हुबेई ही नहीं वुहान शहर में भी पाबंदियां हटा दी गई हैं.

मृतकों की संख्या स्‍पेन में 11198, इटली में 14681, जबकि चीन में सिर्फ 3326 ?  

इससे उसे फायदा ? ऐसे में पूरी दुनिया की नजरें चीन पर टिक गई हैं. सब जानना चाहते हैं कि उसने हालात पर कैसे काबू पाया. साथ ही चीन उनकी कैसे मदद कर सकता है. इसका फायदा उठाते हुए अब चीन ने कोरोना वायरस को काबू करने के लिए मदद के नाम पर कारोबार करना शुरू कर दिया है.    

कोरोना आज विश्व में तबाही मचा रहा है, उन सभी देशों की कमर टूट चुकी है, जहाँ पर चीनी नागरिक खर्च करते थे, वहां पर विश्व अपनी अर्थव्यवस्था को ध्वस्त होते हुए देख रहा है.

17 मार्च से चीन की अर्थव्यवस्था दिनों दिन मजबूत होती जा रही है, अमरीका और कई देश अब इस बात को समझ रहे हैं. यह एक आर्थिक युद्ध है जिसे चीन अपनी कुटिल बुद्धि से जीत चुका है. विश्व इस युद्ध को कुदरत का समझ कर रोज जान-माल गँवा रहा है.

अब मदद के नाम पर कमाई कर रहा चीन, स्‍पेन को बेचे 3456 करोड़ रुपये के मेडिकल उपकरण कोरोना वायरस से उबरने के बाद अब चीन दुनिया को बचाने के नाम पर स्‍पेन समेत 82 देशों के साथ मेडिकल उपकरणों के सौदे कर रहा है.

चीन के बेचे काफी उपकरण घटिया गुणवत्‍ता वाले निकले
चीन ने मदद के नाम पर कमाई की शुरुआत स्‍पेन के साथ बचाव और मेडिकल उपकरणों  का बड़ा सौदा करके की है. चीन ने स्‍पेन को 3,456 करोड़ रुपये के मेडिकल उपकरण बेचे हैं. हद तो ये है कि इसमें काफी मैटेरियल घटिया दर्जे का है. विदेश मामलों के विशेषज्ञ गॉर्डन चांग का कहना है, ‘चीन अपने पैसे, मेडिकल उपकरण और डॉक्‍टर व पैरा मेडिकल स्‍टाफ का इस्‍तेमाल दुनिया को ये दिखाने में कर रहा है कि जिस समय अमेरिका कोरोना वायरस को अपनी सीमाओं में रोकने में नाकाम हो गया है, वहीं वो अमेरिका के सबसे करीबी देशों की मदद कर रहा है. इस समय स्‍पेन, इटली, फ्रांस और जापान जैसे अमेरिका के करीबी देश मदद के लिए चीन की ओर देख रहे हैं.

‘वैश्विक महामारी के दौर को बेकार नहीं जाने देना चाहता चीन’ अटलांटिक काउंसिल के यूरेशिया सेंटर में सीनियर फेलो दिमितर बेचेव का कहना है कि चीन वैश्विक महामारी के इस दौर को बेकार नहीं जाने देना चाहता है. उनका कहना है कि चीन पर इस वैश्विक महामारी को पैदा करने और फैलाने को लेकर तरह-तरह के आरोप लग रहे हैं. ऐसे में वह अपने प्रति लोगों का नजरिया बदलने के साथ ही मुनाफ़ा कमाने में भी जुट गया है. अब चीन दुनिया को बताने की राह पर है की उसे भी नुक्सान हुआ है.  

मौजूदा समय में इसके लिए इससे बेहतर विकल्‍प कुछ नहीं हो सकता है कि हर देश में चीन के मेडिकल उपकरण और डॉक्‍टरों के दल लोगों को COVID-19 से बचाते हुए नजर आएं. गॉर्डन चांग का कहना है चीन हमें ये दिखाना चाहता है कि वह पूरी दुनिया में कैसे इस महामारी से निपटता है. फॉक्स न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक, अब चीन दुनिया को बताने की राह पर है की उसे भी नुक्सान हुआ है.  ‘चीन दुनिया को ये दिखाने की कोशिश कर रहा है कि वह मेडिकल उपकरणों को दान कर रहा है, जबकि असल में ऐसा नहीं है. दरअसल, जिन उपकरणों को वो दान में दिया हुआ दिखा रहा है, वो सभी उपकरण संबंधित देशों को बेचे जा रहे हैं.’

भारत के लोगों का इम्यून गजब का है, भारतीय बड़े से बड़े रोग को रोटी के टुकड़े पर लगाकर खाने और पचने में माहिर हैं. हम कुदरत के विरुद्ध युद्ध नहीं, प्रार्थना पूजा करते हैं.

रविन्दर सूदन

रविन्दर सूदन

शिक्षा : जबलपुर विश्वविद्यालय से एम् एस-सी । रक्षा मंत्रालय संस्थान जबलपुर में २८ वर्षों तक विभिन्न पदों पर कार्य किया । वर्तमान में रिटायर्ड जीवन जी रहा हूँ ।

2 thoughts on “कोरोना – चीन की कुटिल चाल

  • रविन्दर सूदन

    7 मार्च को इराक में भी चीन के सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के 7 विशेषज्ञों का एक दल नजर आया था. चीन की सरकारी न्‍यूज एजेंसी शिन्‍हुआ की रिपोर्ट के मुताबिक, बगदाद ने इन विशेषज्ञों से एक महीने तक इराक में रुककर मदद करने की गुहार लगाई है. इससे पहले अमेरिका ने भी इराक को मदद की पेशकश की थी, लेकिन वहां के शीर्ष नेता अयातुल्‍ला अली खामनेई ने इसे स्‍वीकार करने से इनकार कर दिया था. चांग का कहना है कि चेक रिपब्लिक को चीन की ओर से बेची गईं 80 फीसदी टेस्‍ट किट्स या तो खराब थीं या सही रिपोर्ट नहीं दे रही थीं. चीन इस समय हर दिन 11.6 करोड़ फेस मास्‍क बना रहा है, जो उसकी अब तक की क्षमता से 12 गुना ज्‍यादा है. ऐसे में उनकी गुणवत्‍ता को लेकर सवाल उठना लाजिमी है.

  • रविन्दर सूदन

    चीन का दावा है कि उसने कोरोना वायरस के खतरे को अपने यहां नियंत्रित कर लिया है. अब दूसरे देशों की मदद करना चाहता है. चीन की सरकार ने घोषणा की है कि वो 82 देशों को स्प्लाई किट देगी. अब स्‍पेन और इटली के अनुभवों से साफ है कि चीन तमाम मेडिकल सप्‍लाई दान में मुफ्त नहीं देने वाला है. चीन देश की हर मदद की पूरी कीमत वसूल करेगा. संक्रमण के दौरान चीन में रोबोट्स के जरिये घर-घर लोगों को जरूरी चीजें और दवाइयां पहुंचाई गई थीं. इसके अलावा ड्रोन्‍स के जरिये लोगों को मास्‍क लगाने और घर में रहने की सलाह दी गई थी. वहीं, लॉकडाउन में छूट देने के बाद हर व्‍यक्ति पर टेक्‍नोलॉजी के जरिये नजर रखी जा रही है. अब दुनिया भर से चीन के रोबोट्स की डिमांड आ रही है.

Comments are closed.