अप्रैल फूल दोहा एकादशी
हाय! मार्च क्यों कर गया, यूँ जाने की भूल
आया है सरकार फिर, आज अप्रैल-फूल // १. //
आज अप्रैल-फूल है, खो गया कहाँ मार्च
अँधेरे में मूर्ख दिवस, ढूँढ रहा है टार्च // २. //
हिन्दी में जो ‘पुष्प’ है, उसका किया अनर्थ
अंग्रेजी में ‘मूर्ख’ है, ‘फूल’ शब्द का अर्थ // ३. //
पागलखाने जाइये, होगा सबको हर्ष
‘अप्रैल माह’ आगरा, जाओ नूतन वर्ष // ४. //
मनाओ मूर्ख दिवस यूँ, सुनो लगाकर कान
पागलखाने आपका, खूब रखेंगे ध्यान // ५. //
पूरा जीवन आपका, मूर्ख करें सम्मान
बाँट रहे अप्रैल में, जी भर के तुम ज्ञान // ६. //
इस जगत में भरे पड़े, जगह-जगह विद्वान
क्यों मूर्खों के माह में, प्रकट भये श्रीमान // ७. //
प्रभु का अता-पता नहीं, मूर्खों का है ध्यान
पागलखाने बन रहे, भारत क्या जापान // ८. //
विद्वानों का देश है, अपना हिन्दुस्तान
‘अप्रैल माह’ आगरा, घूमें तो श्रीमान // ९. //
जग में मूर्ख अनेक हैं, पग यूँ ही बदनाम
बिन पगड़ी विद्वान का, मूर्खों में है नाम // १०. //
पागलखाने घूमिये, कुछ भी लगे न दाम
पसन्द हो तो कीजिये, रजिस्टर्ड भी नाम // ११. //
— महावीर उत्तरांचली