कविता

एकता का दिया

आओ हम सब मिलजुल कर दिये जलायें
एक है भावना सबकी दुनिया को बतलायें,

चलो दिये की हर लौ से एकता को दर्शायें,
एकता की मशाल से कोरोना को भगायें,

एकता की शक्ति कभी भी हार नहीं सकती,
आये भले ही आंधी मशाल बुझ नहीं सकती,

डरें नहीं हम इस युद्ध में जीत हमारी होगी,
हारेगा वो जिसने हमें हराने की ठानी होगी,

वक़्त है बुरा हर देशवासी को आगे आना होगा,
विषम परिस्थिति में सबको साथ निभाना होगा,

ले रहा है परीक्षा वह हमारी सब समझ जाओ,
प्रज्ज्वलित करके रौशनी गगन तक चमकाओ,

एकता की देख रौशनी, प्रभु भी दंग हो जायें,
जीत दिलाने में हमें वह नतमस्तक हो जायें।

रत्ना पांडे, वडोदरा (गुजरात)

रत्ना पांडे

रत्ना पांडे बड़ौदा गुजरात की रहने वाली हैं । इनकी रचनाओं में समाज का हर रूप देखने को मिलता है। समाज में हो रही घटनाओं का यह जीता जागता चित्रण करती हैं। "दर्पण -एक उड़ान कविता की" इनका पहला स्वरचित एकल काव्य संग्रह है। इसके अतिरिक्त बहुत से सांझा काव्य संग्रह जैसे "नवांकुर", "ख़्वाब के शज़र" , "नारी एक सोच" तथा "मंजुल" में भी इनका नाम जुड़ा है। देश के विभिन्न कोनों से प्रकाशित होने वाले समाचार पत्र और पत्रिकाओं में इनकी रचनाएं नियमित रूप से प्रकाशित होती रहती हैं। ईमेल आई डी: [email protected] फोन नंबर : 9227560264