गज़ल
कल जो मेरे थे , मेरे दिल में बसते थे ।
आज उस के लिए मैं बेगाना हो गया ।
उसकी आँखों में जो मस्ती हैं ,
मैं उसका दीवाना हो गया ।
हैं तू शमा मेरी ,जलना मेरी तकदीर हैं ।
इस लिए मैं तेरा परवाना हो गया ।
उसकी याद मैं मैंने जो गीत लिखे हैं ।
उस के लिए वही मेरा शुकराना हो गया ।
दिल मेरा अब मुर्दो की बस्ती हैं ,
उस के जाने के बाद यहाँ सब वीराना हो गया ।
हर जुबाँ पर हैं चर्चे हमारे प्यार के,
यही प्यार अब मेरा अफ़्साना हो गया ।
वह मेरी थी मगर उसने साथ न दिया मेरा ,
ज़िंदगी के सफर पर मैं अकेला रवाना हो गया ।
इक नशा हैं उसकी प्यारी-सी आँखों में ,
वही मेरे लिए अब मयखाना हो गया ।
अब यह खण्डरों का शहर ,बहुत ही खूबसूरत था ।
मुर्दों का वसेरा हो गया , तेरे जाने के बाद
उनका ठिकाना हो गया ।
उनके रहमों कर्म पर हैं ज़िंदगी मेरी,
जितना चाहे सितम कर ले ।
अब उनका मालिकाना हो गया।
अब जी नहीं लगता मेरा इस उजड़े दयार में
तेरे बिना यह ज़िंदगी इक कैदखाना हो गया ।
तेरी कसम तुमसे में बहुत में प्यार करता हूँ ,
प्यार का ये गम तेरा ,
मेरा नज़राना हो गया ।
जब भी वो हंसी हैं मुस्कराई हैं ।
सुहाना यह हँसी मौसम और भी आशिकाना हो गया ।
वारिशों का मौसम हैं ,काली अँधेरी रात हैं ।
बैठे हैं तेरी राहे गुजर में ,इक ज़माना हो गया ।
ज़िंदगी में प्यार एक खूबसूरत अहसास हैं ,
इसी अहसास से मेरा दोस्ताना हो गया।
आ भी जाओ, इस हसीन मौसम में ,चली आओ !!!!!!!
आज आऊँगी मैं, तेरा यह रोज़ का बहाना हो गया ।
बहारें मुस्कराई हैं ,खिले हैं फूल गुलशन में ,
खुदा का शुक्र हैं तुम आ गए ,मिलना मिलाना हो गया।
“दिल तो तुम्हारा मेरे पास हैं”
मेरे लिए यह प्यार का खजाना हो गया ।
— कृष्ण सिंगला