पाँच हायकू
( 1 )
खुद की रक्षा
आज के लिए बनी
देश-सुरक्षा ।
( 2 )
संकट आया
प्रकृति दोहन से
प्राण गँवाया ।
( 3 )
‘ लौट आना माँ ‘
साँझ होते ही नीड़
देखूँ आसम़ाँ ।
( 4 )
कहीं से आई
चींटी देखती नहीं
गिरि-ऊँचाई ।
( 5 )
दोनों किनारे
तीव्र नदीं को देख
मौन बेचारे ।
— टीकेश्वर सिन्हा “गब्दीवाला”