भावी पीढ़ी मान करे
संकट की इस महा घड़ी में
मिलकर हाथ बटाओ,
हिंदु-मुस्लिम,सिखादि से
पहले मानव कहलाओ ।
जो खाकी पर थूक रहे ,
वर्दी पर पत्थर बरसाते हैं
उनका न कोई मजहब मानो
वो बस देशद्रोही कहलाते हैं।
आस्तीन के साँप हैं निश्चित
जो घर में विष फैलाते हैं ।
इनसे भी घातक उनको मानो
जो इन सांपों को दूध पिलाते हैं।
जाति -धर्म के झगड़ों ने
पहले भी देश जलाया है
नीच अधम महापापी है
जिसने दंगा भड़काया है।
मत दो उसको कोई नाम अन्य
बस इन्सानों में कलंक कहो
तुम भेदभाव का छोड़ तराजू
निज मानवता का फर्ज़ गहो ।
जो जूझ रहे इस विपदा से
उनका भी तो ध्यान करो ,
अदृश्य शत्रु से लड़ते
इन योद्धाओं का मान करो ।
इस अदद कलम से कागज़ पर
और कहो क्या रचना कर दूँ ।
मानवता के आह्वान पर
निज प्राणों का आसव भर दूँ ।
याद रहेगा बलिदान तुम्हारा
कलम सदा यश गान करे ।
कोरोना से लड़ते वीरों
तुम पर भावी पीढ़ी मान करे ।
— मनोज कुमार सामरिया ‘मनु’