कविता

मैने तो जाना था कि…

न जाने क्यों, आप मुझसे रूठ ग ई है
बिना कुछ बताए ही, आप दूर ही ग ई है
खिड़कियों से आती हवाएं से, आपकी याद आ रही है
सिर्फ आपके न होने से, जिंदगी में सन्नाटे छा रही है”
“अगर हुई हो कोई भूल,तो आप मुझे बताइए
यू बेवजह रूठ कर, आप हमे ना बताइए”
हर शायं खिड़कियां खोलने वक्त आपकी याद आती है
न जाने क्यों आपकी यादें, मुझे बहुत सताती है
शायं से शुरू हुई यादें, सुबह होने तक नहीं रूकती है
मैने तो जाना था कि प्यार में दुनिया झुकती है

आनंद कुमार गुप्ता

स्वतंत्र लेखक पटना, बिहार पिन कोड-800001 मो-7004180876 (वाट्स अप)