धरती पर है गगन बनाया
कुछ तारे आसमां पर और कुछ धरा पर हैं उतर आये,
मानो अमावस की काली रात में धरती पर टिमटिमाये,
दियों का अद्भुत दृश्य कितना अलौकिक, दर्शनीय हुआ,
देख कर यह सुन्दर नज़ारा, संसार सारा विस्मित हुआ,
नतीजा अविस्मरणीय हुआ एक देशभक्त के संदेश का,
हर हाथ में जला दिया एकता और शक्ति के प्रतीक का,
हर चुनौती स्वीकार हमें अगर साथ हो सभी अपनों का,
एक साथ खड़ा हो संपूर्ण देश, डर नहीं है फ़िर विघ्नों का,
असमंजस में चांद था मैं कहीं गलत तो नहीं निकल आया,
तारे नीचे टिमटिमा रहे, बाकी दिख रहा काला घना साया,
पर फ़िर कुछ ही पलों में चांद को रहस्य समझ में आया,
भारत मां की संतानों ने तो, धरती पर ही है गगन बनाया।
रत्ना पांडे, वडोदरा (गुजरात)