भूगर्भीय हलचल का पूर्वानुमान व बचाव
पशु-पक्षियों में अद्धभुत शक्ति होती है,भूगर्भीय हलचलों जैसे हादसों से सचेत कर देते है |साथ ही मालिक के प्रति वफ़ादारी भी निभाते है| जरुरी नहीं कि उन्हें कैद करके रखा जाए |जब भी भूगर्भीय हलचलों का होना हुआ है उसके पहले पशु -पक्षियों में भी अजीब सी संकेत स्वरूप गतिविधियाँ जैसे पक्षियों का अकस्मात ज्यादा संख्या में एकत्रित होकर कोलाहल करना,पशुओं में उनके व्यवहार में यकायक परिवर्तन होना आदि कई संकेत ये देते आये है | इनकी अजीब हरकतें भूगर्भीय हलचल के होने के पूर्व देखी गई है |यदि उनकी इन हरकतों पर गौर किया जाए तो निश्चित तौर पर जान-माल की हानियों से बचा जा सकता है |मानवसेवा के अलावा पशु -पक्षियों की सेवा ,उनकी सुरक्षा ,स्वच्छंद वातावरण विकसित करना ,विलुप्ति की कगार वाले पक्षियों या विशेष प्रजाति की संख्या बढ़ाना आदि हमारे भी कर्तव्य बनते है |आखिर भू- भागों पर उनका भी अधिकार उतना ही है ,जितना मानव का है |अतः पशु-पक्षियों के प्रति भी स्नेह व् निगाह रखना सांकेतिक दॄष्टि से उचित है ताकि प्राकृतिक हादसों से हानि कम हो सकें |देखा जाए तो जापान में शक्तिशाली भूकंप झटके से कम ऊंचाई की सुनामी ,परमाणु संयंत्र की कूलिंग सिस्टम की गतिविधियों पर असर पड़ा था किंतु कोई भी हताहत नहीं हुआ |क्योंकि वहां पर भूकंप से संभलने की प्रणाली लगी है |भूगर्भ वैज्ञानिकों के शोधानुसार हिमालयन प्लेट के सन्धि स्थल पर सर्वाधिक दबाव बन रहा है|उनका मानना है की जब कभी भूगर्भीय संरचना मे तेजी से हो रहे बदलावों के कारण धरती मे से उष्मा उत्सर्जित होकर निकलती है वो भी भूकंप आने का एक लक्षण दर्शाती है| हिमालयन प्लेट क्षेत्र मे भूकंप के खतरे को देखते हुए अभी से प्रयास प्रारंभ कर देना चाहिये | इन प्रयासों से भूकंप को रोका तो नहीं जा सकता किन्तु उसकी विनाशकता को तो कम किया जाकर जान- माल कि हानि मे कमी की जा सकती है |इसके लिए सभी प्रदेशों में भूकंप अवरोधी संरचनाओ तथा अन्य कोशिशो पर ध्यान देकर भूकंप के झटके सहन करने वाला क्षेत्र बनाया जाना चाहिए |
— संजय वर्मा ‘दॄष्टि’