कविता

मुस्कान की दास्तान

बहारों में खिल
  रही उनकी मुस्कान
मानो एक चांद
   इस जहां पर भी
           आ गया है
उनका वो शर्माना
   नज़र मिलने पर
नज़रों का झुक जाना
मिल के भी दूर चले
                    जाना
  ये तो हमारी चाहत की ही
               पहचान है
बहारों में खिली
    मुस्कान की दास्तान है।।
— मनोज बाथरे 

मनोज बाथरे

चीचली (जैन मंदिर के पास) जिला नरसिंहपुर मध्य प्रदेश पिनकोड 487770 विगत 20 वर्षो से साहित्य सेवा, तत्कालीन समय में कुछ रचनाएं विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई। वर्तमान समय में पुनः साहित्य के क्षेत्र में कुछ योगदान देने की इच्छा जागृत हुई तो सक्रिय हुआ।