भजन
एक विनती है ईश्वर,एक बार तो आ जाना,
दुख दर्द गरीबों का,तुम आकर मिटा जाना।
दर छोड़ तेरे बंदे,जाएं तो कहां जाएं,
तू प्यार का सागर है,एक ज्ञान की गागर है,
तेरी बूंद के प्यासे हम,एक बूंद पिला जाना,
दुख दर्द गरीबों का,तुम आकर मिटा जाना।
मेरी डूब रही नैया,अब आकर बचा लो तुम,
एक तड़प रहे दिल में,अमृत बरसा जाना,
दुख-दर्द दर्द गरीबों का,तुम आकर मिटा जाना।
सुबह शाम मेरे कृष्णा,तेरी बाट निहारे हम,
तेरे दर्शन को प्यासे,दिन रो रो गुजारे हम,
मीठी मधुर बंसी,की तान सुना जाना,
दुख दर्द गरीबों का,तुम आकर मिटा जाना।
हम सबका तू मालिक है,दीन दुखी सबका,
तेरे प्यार की मस्ती में,तेरा नाम पुकारे हम,
चाह यही मन में,चरणों से लगा लो तुम,
दुख दर्द गरीबों का,तुम आकर मिटा जाना।
– कृष्ण सिंगला