कुछ मैं लिखूं कुछ तुम लिखो
# कुछ मैं लिखुं , कुछ तुम लिखो
मैं प्रेम लिखुं , तुम मिलन लिखो
इस ढलती रात के तारों पर
सरिता के शांत किनारों पर
चंदा की झरती किरणों से
इन कलकल निर्झर धारों पर
मैं पुलक लिखूं तुम मयन लिखो
मैं प्रेम लिखुं तुम मिलन लिखो
व्याकुल मन की आशाओं में
निज मौन जनित भाषाओं मेंं
रजनी के श्यामल आँचल में
सिमटी इन सभी दिशाओं में
मैं चाह लिखुं तुम सपन लिखो
मैं प्रेम लिखुं तुम मिलन लिखो
समर नाथ मिश्र