राजनीति

धर्म और मज़हब का चश्मा उतार कर देखो

“मजहब के नाम पर लोगों को यूं ना बरगलाओ
इंसान को आपस में एकदूसरे का दुश्मन ना बनाओ
मजहब कमजोर नहीं इतना जो जरूरत पड़े तुम्हारी,
बस तुम देशहित में खुद एक अच्छा इंसान बनकर,
इंसानियत के प्रति कुछ तो जिम्मेदारी निभाओ।।”
आज सम्पूर्ण विश्व एकजुट होकर वैश्विक आपदा बन चुके कोरोना वायरस से अघोषित लम्बी जंग लड़ रहा है, वहीं हमारा प्यारा देश बेहद गंभीर आपदा के समय में भी चंद नाकारा लोगों की भीड़ व सोशलमीडिया के इंसानियत के दुश्मन बन गये बयानवीरों के चलते हिन्दू-मुसलमान व तरह-तरह की फर्जी खबरों के खिलाफ जंग लड़ रहा है। जब से दिल्ली के निजामुद्दीन में तब्लीगी-ए-जमात के कार्यक्रम में शामिल लोगों में कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों की लम्बी फौज मिली है, तब से ही लॉकडाउन की अपनी सारी कबायद पर पानी-फिरता देखकर शासन-प्रशासन निजामुद्दीन मरकज के कार्यक्रम में शामिल लोगों को चिन्हित करके युद्ध स्तर पर उन्हें तलाश रहा है। इस तलाशी का असली उद्देश्य है कि उन लोगों के द्वारा और लोगों में कोरोना संक्रमण ना फैले, इसको समय रहते रोकने के लिए शासन-प्रशासन लोगों को ढूंढ-ढूंढ कर क्वारंटाइन में और संक्रमितों को आइसोलेशन में भेज रहा है। लेकिन बहुत अफसोस की बात यह है कि कुछ लोगों को प्रशासन की देश के इंसानों के जीवन को बचाने की इस कवायद से भी ना जाने क्या दिक्कत हो रही है, वो लोगों के जीवन बचाने की इस कवायद को भी अपनी गंदी जहरीली सोच के चलते मजहबी रंग देने पर तुले हुए है। तब्लीगी जमात के कार्यक्रम में शामिल जिन लोगों को प्रशासन के द्वारा अपने ढूंढने की खबर सुनने के बाद इंसान व इंसानियत के नाते देश व समाज के हित में स्वयं ही नजदीक के अस्पताल या प्रशासन को सूचना देकर सामने आकर उन सभी के द्वारा दिये गये दिशानिर्देशों का अक्षरसः पालन करना चाहिए था, लेकिन ना जाने क्यों वो लोग जगह-जगह छिपते हुए लोगों को संक्रमित करके मौत का सामना बाट़ते फिर रहे है। हम सभी देेशवासियों के लिए चिंता की बात यह है कि जिस तरह से जमात में शामिल कुछ लोग इंसान व इंसानियत का दुश्मन बनकर कुछ लोगों के बहकावे में आकर अपने ही मिलने वाले चहेते लोगों, परिवारजनों व अन्य लोगों को बेहद घातक मौत का सामान कोरोना वायरस का संक्रमण बाट़ते घूम रहे हैं, उसने देश में चल रहे लॉकडाउन की कवायद को पलीता लगाकार कोरोना से लड़ी जा रही जंग को कमजोर किया है। यह लोग एक उस व्यक्ति की दी गयी तकरीर पर तो अमल कर रहें है, जिसने पूरे विश्व में फैले कोरोना वायरस के संक्रमण को सिरे से नकार कर इस्लाम के खिलाफ साजिश करार दे दिया था। लेकिन इनको अपने खुद के विवेक व अपनी खुद की खुली हुई आँखों से पूरे विश्व के भयावह हालात नजर नहीं आते है, विश्व में हर तरफ कोरोना की वजह से मचा मौत का तांडव नजर नहीं आता है, ना ही इनको कोरोना संक्रमण के चलते विश्व के अलग-अलग देशों में इकट्ठा अनगिनत लाशों के ढेर की खबरें मीडिया के माध्यम से नजर आती हैं। भारत में इस तरह की हालात कुछ लोगों के द्वारा धर्म के नाम पर किसी व्यक्ति विशेष के अंधानुकरण के चलते आयेदिन उत्पन्न हो रही है, जिससे आयेदिन देश में कानून-व्यवस्था व इंसान और इंसानियत को खतरा उत्पन्न होता रहता है। जमात में शामिल कुछ लोगों ने अपने विवेक का प्रयोग ना करके जिस तरह से एक व्यक्ति की कही बात को पत्थर की लकीर मानकर उसका  अनुसरण करना शुरू कर दिया, लोगों की इस बेहद बचकानी हरकत के चलते देश में आज एकाएक कोरोना वायरस संक्रमण के चलते भयावह स्थिति उत्पन्न होनी शुरू हो गयी है, जो स्थिति हम सभी  देशवासियों के हित में ठीक नहीं है। आपदा के समय में भी देश में कुछ लोगों की बेवकूफी की इंतहा तो देखों कि अलग-अलग राज्यों में जब डॉक्टर व पुलिस की टीम लोगों के पास उनकी जांच करके जान बचाने के उद्देश्य से गयी, तो कुछ जाहिल लोगों ने लोगों की जान बचाने के लिए दिन-रात अपने मिशन पर लगे साक्षात देवदूत जाबांज “कोरोना वारियर्स” पर पत्थराव करके जानलेवा हमला करना शुरू कर दिया, देश के विभिन्न राज्यों से इस तरह की बेहद शर्मनाक खबरें लगातार आ रही हैं। इन लोगों ने जरा भी यह नहीं सोचा कि उनके इस जहालत भरे कदम से इंसान व इंसानियत का कितना बड़ा नुकसान हो सकता है। क्या इन लोगों ने कभी यह सोचा है कि अगर भय के चलते डॉक्टर, नर्सिंग स्टाफ व पुलिस ने लोगों की इस तरह की हरकतों के चलते भयंकर आपदा के समय अपनी जिम्मेदारियों का सही ढंग से पालन नहीं किया, तो देश में क्या भयावह स्थिति होगी, आज उसकी कल्पना करके ही रूह कांप जाती है। जिस तरह से लॉकडाउन का सही ढंग से पालन कराने के लिए शुक्रवार को भीड़ इकट्ठा होने से रोकने पर पुलिस पर कुछ नादान नमाजियों के द्वारा देश के विभिन्न हिस्सों में पत्थराव किया गया, वह सरासर गलत है। कुछ लोगों को अभी भी समय रहते समझ जाना चाहिए की लॉकडाउन में लोगों को सख्ती से सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराने के लिए पुलिस-प्रशासन की किसी भी तरह की कोई कार्यवाही किसी धर्म या व्यक्ति विशेष के खिलाफ नहीं है, बल्कि उन्हीं लोगों की जान को सुरक्षित रखने के लिए की जा रही कवायद का हिस्सा है। लेकिन फिर भी मजहब के तथाकथित ठेकेदारों के द्वारा कुछ लोगों की आँखों पर अंधभक्ति की पट्टी बांधकर इन लोगों को बरगलाकर भ्रमित करके उनकी जान को घातक कोरोना वायरस संक्रमण के खतरे में आखिर जानबूझकर क्यों डाला जा रहा है,  यह स्थिति देश की खुफिया ऐजेंसी के लिए जांच का विषय है और हम सभी के लिए चिंतनीय है। आपदा के समय में देश में इस तरह के हालात ना तो अंधभक्त बने इन लोगों की जमात के लिए ठीक है, ना ही उनके परिवार, पड़ोसियों व संपर्क में आने वाले अन्य लोगों के लिए ठीक, ना ही इंसान, इंसानियत, समाज व देशहित में ठीक है। वैसे अधिकांश देशवासियों को याद होगा की इन मजहब के कुछ ठेकेदारों ने यह हरकत उस समय भी की थी, जिस समय देश में बच्चों को पोलियो की बीमारी से बचाने के लिए पोलियो ड्राप पिलाने का अभियान युद्ध स्तर पर चलाया जा रहा था। तो उस समय भी कुछ मजहब के तथाकथित ठेकेदारों के द्वारा अफवाह फेलाई गयी थी कि पोलियो की ड्राप अपने बच्चों को बिल्कुल भी नहीं पिलाएं, इसको पीने से बच्चें नपुंसक हो जायेंगे। जिसके परिणाम स्वरूप पोलियो पिलाने वाली टीमों पर भी देश के अलग-अलग हिस्सों में आयेदिन जानलेवा हमला होने लगा था, लेकिन सरकार की सख्ती व निरंतर प्रयास के बाद बच्चों को लगातार पोलियो की ड्राप पिलाकर, आज देश को पोलियो से मुक्त कर दिया गया है। सरकार के उस बेहतरीन प्रयास के सकारात्मक परिणाम आज सभी देशवासियों के सामने है और इस पोलियो ड्राप पीने से कोई भी बच्चा नपुंसक नहीं हुआ है यह कटु सच्चाई भी हम सभी के सामने है। उस समय पोलियो ड्राप पिलाने के विरोध का वो सारा घटनाक्रम कुछ मजहब के ठेकेदारों के द्वारा अपने निजी स्वार्थ को पूरा करने के लिए लोगों के बीच फैलाये गये एक षडयंत्र मात्र से अधिक कुछ नहीं था। आज फिर देश में कुछ मजहब के ठेकेदारों के द्वारा षडयंत्र रचकर वही स्थिति उत्पन्न करके लोगों को लगातार विभिन्न-विभिन्न मसलों को लेकर आयेदिन बरगलाया जा रहा है। आज के समय में विश्व में मानव सभ्यता के लिए सबसे बड़े खतरा बन चूके कोरोना वायरस को कुछ लोगों के द्वारा इस्लाम के खिलाफ सोची समझी साजिश बताया जा रहा है, कोई इन लोगों से पूछे की लोगों में एक घातक वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए सरकार के द्वारा किये जाने वालें उपाय से कोई मजहब कैसे खतरे में पड़ सकता है। क्या विश्व में कोई भी मजहब इतना कमजोर है कि वो जरा-जरा सी बातों में खतरे में पड़ जाये या कुछ लोगों की जहालत भरी हरकत से खतरे में आ सकता है, बिल्कुल भी नहीं। वैसे जो लोग आज डॉक्टरों व उनके सभी सहयोगी स्टाफ पर पत्थरबाजी कर रहे हैं क्या वो संकल्प लेंगे की कभी भी अपने या अपने परिवार के किसी भी सदस्य के मर्ज को दिखाने के लिए किसी भी डॉक्टर के पास नहीं जायेंगे?
खैर अब लकीर पीटने से क्या होता है एक मौलाना की भंयकर लापरवाही और सबसे अधिक ताकतवर होने की ज़िद की वजह से ना जाने आज देश के कितने लोगों की जान पर बन आयी है, उनकी लापरवाही भरे कृत्य से देश में आज हजारों लोग कोरोना से संक्रमित हो चुके हैं।
लेकिन अब केंद्र व राज्य सरकारों को भी यह तय कर लेना चाहिए कि जो लोग अपने आपकों देश के नियम-कायदे व संविधान से ऊपर मानने वाले इंसानियत के दुश्मन बन चुके है, चाहे वो बड़े राजनेता, मजहब व धर्म के कुछ तथाकथित बड़े ठेकेदार ही क्यों ना हो, देशहित में अब किसी भी गलत करने वाले व्यक्ति को भी बख्शा नहीं जाना चाहिए। आयेदिन लोगों के बीच में बैठकर मजहब व धर्म को बदनाम करने का काम करने वाले कुछ धर्मान्धों को अब देशहित में कानून से सख्त से सख्त सजा अवश्य मिलनी चाहिए, चाहे वो किसी भी जाति, धर्म या मजहब के कितने भी बड़े ठेकेदार क्यों ना हो। साथ ही साथ “कोरोना वारियर्स” के हौसले व सेवाभाव को बनाए रखने के लिए भी सरकार को उनसे बदसलूकी करने वाले लोगों और पुलिस, डॉक्टर, नर्सिंग स्टाफ व अन्य लोगों को संक्रमित करने के उद्देश्य से जगह-जगह थूकने वाले लोगों, अस्पताल में कोरोना वारियर्स को बेवजह परेशान करने वाले लोगों व उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद व कानपुर में अस्पताल में जमातियों के द्वारा नर्सों से अश्लील हरकतें करके छेड़छाड़ करने वाले लोगों को सख्त से सख्त सजा देकर और लोगों के लिए नजीर बना देनी चाहिए। देश में इस तरह के मामले सामने आने के बाद लोग हैरान है, कि ऐसी शर्मनाक हरकत करने वाले ये लोग आखिर किस तरह के जमाती हैं आखिर ये जमात में किस तरह की शिक्षा ले रहे थे। वहीं 3 अप्रैल शुक्रवार को कोरोना से बचाने के लिए इकट्ठा होकर नमाज पढ़ने से पुलिस के द्वारा मना करने पर, कुछ लोगों ने जिस तरह पुलिस पर पत्थरबाजी की यह स्थिति समझ से परे है कि भयावह कोरोना आपदा के वक्त भी कुछ लोगों की इंसानियत को शर्मसार करने वाली हरकतें किस उद्देश्य से और क्यों जारी हैं, केंद्र व राज्य सरकार की जांच ऐजेंसियों को मामले की तह में जाना चाहिए। लेकिन हम सभी लोगों को भी यह ध्यान रखना है कि कुछ जाहिल लोगों के द्वारा किये गए मानव सभ्यता के प्रति जघन्य अपराध के लिए हमको किसी मजहब, धर्म व समाज को नफरत की दृष्टि से नहीं देखना चाहिए, कुछ लोगों की जहालत की सजा किसी भी हाल में सभी को नहीं मिलनी चाहिए, आपसी प्रेम व भाईचारे को बरकरार रखना आज हम सभी देशवासियों की सबसे बड़ी जिम्मेदारी है। हम सभी को यह हमेशा ध्यान रखना चाहिए कि सच्चा धर्म हमें अनुशासित जीवन जीना सिखाता है ना कि जीवन में अनुशासन हीनता करना सिखाता है। आज हमारे देश में राजनीति के चलते हर मजहब, धर्म व जाति में ऐसे लोग ठेकेदार बनकर इकट्ठा हो गये है जो अपने आपको देश के नियम-कानून व संविधान से तो ऊपर मानते ही है, बल्कि इन्होंने अपने आपको सर्वशक्तिमान ईश्वर से भी अधिक शक्तिशाली मानने की गलतफहमी पाल रखी है, तो देश का संविधान व संवैधानिक व्यवस्था इनके लिए क्या मायने रखती है आप खुद अंदाजा लगा सकते हैं। जिसका उदाहरण पिछ़ले कुछ वर्षों में देश के अलग-अलग हिस्सों में देखने को मिला है, लेकिन अब ऐसे तथाकथित सभी मजहब के ठेकेदारों को सरकार को देशहित में तुरंत संवैधानिक ताकत का आईना दिखा देना चाहिए, इनकी गलतफहमी सरकार को तुरंत दूर करनी चाहिए, इन सभी को उनके द्वारा समझ में आने वाली सबसे सरल भाषा में समझा देना चाहिए कि देश संविधान के बनाये नियम कायदे व कानून से चलेगा ना कि उनके द्वारा बताए गयी बातों या किसी भी अन्य धार्मिक पुस्तक से चलेगा। सरकार को ऐसे सभी तथाकथित ठेकेदारों पर तुरंत कार्यवाही करनी चाहिए जो अपने आपको देश से बड़ा मान बैठे है, जिनके लिए देश, देशहित व इंसान-इंसानियत कोई मायने नहीं रखती है। क्योंकि आज इन इंसान व इंसानियत के दुश्मन बन चुके चंद लोगों के द्वारा कुछ लोगों को पहनाएं गये, धर्म और मज़हब के खतरनाक चश्मे की वजह से ही आज भयंकर कोरोना वायरस आपदा के समय में हमारे प्यारे हिन्दुस्तान में इंसान व इंसानियत खतरे में हैं। जिसकी रक्षा के लिए हम सभी देशवासियों को समय रहते जागना होगा और ऐसे तथाकथित धर्म के ठेकेदारों की दुकानों पर सरकार की कार्यवाही से पहले जनता को खुद जागरूक होकर आगे आकर ताला जड़ना होगा तब ही देश देशवासी और देश की एकता, अखंडता, अमनचैन व भाईचारा कायम रह सकता है। वरना वह समय दूर नहीं है जब शायर ‘मुज़फ़्फ़र रज़्मी’ का शेर हर देशवासी को याद आयेगा
“”ये जब्र भी देखा है तारीख़ की नज़रों ने।
लम्हों ने ख़ता की थी सदियों ने सज़ा पाई ।।”
— दीपक कुमार त्यागी

दीपक कुमार त्यागी

स्वतंत्र पत्रकार, स्तंभकार व रचनाकार ट्विटर हैंडल :- @deepakgzb9 मोबाइल :- 9999379962