पहचान
मैं क्या हूँ?
मेरी पहचान क्या है
अपने ज़हन में
यह प्रश्न लिए
घूमता हुआ इंसान
इस/ प्रश्न का उत्तर
दर-ब-दर
तलाशता फिरता है
लेकिन / उसका उत्तर
उसको क्या पता
जिससे वह पूछ रहा है
उसका / उत्तर तो सिर्फ
ये हैं कि /
इंसान अपनी पहचान
स्वयं बनायें।।
— मनोज बाथरे