संभावना
जिस तरह दिनकर
सुबह को निकलकर
शाम को विलीन
हो जाता है
फिर दूसरे सुनहरे
कल के लिए
उसी तरह/ मुझे
संभावना है कि
इंसान भी आज नहीं
तो कल
अवश्य ही बदलेंगे
अपने सुनहरे
भविष्य के लिए।।
— मनोज बाथरे चीचली
जिस तरह दिनकर
सुबह को निकलकर
शाम को विलीन
हो जाता है
फिर दूसरे सुनहरे
कल के लिए
उसी तरह/ मुझे
संभावना है कि
इंसान भी आज नहीं
तो कल
अवश्य ही बदलेंगे
अपने सुनहरे
भविष्य के लिए।।
— मनोज बाथरे चीचली