इतिहास

शिल्प सौंदर्य को बढ़ावा मिले 

प्राचीन काल के मंदिरों में और उनकी दीवारों में जटिल और सूक्ष्म शिल्पकला की मूर्तिया, डिजाइन आदि बनी है|जो आज के युग मे आश्चर्य के साथ सौंदर्य का बोध भी कराती है।खजुराहों, कोणार्क कैलाश मंदिर (महाराष्ट्र ) दिलवाड़ा  जैन मंदिर (राजस्थान),अजंता, एलोरा, एलिफेंटा, महाबलीपुरम आदि  कई, मंदिर, गुफाएं, महल देखे जा सकते है।जो चट्टानों को तराशकर निम्न उदभृतों,मूर्तियों अथवा भित्तिचित्रों से अलंकृत कर दर्शनीय को बढ़ाते आ रहे है | शिल्पकला का जटिल और सूक्ष्म शैल्पिक अलंकरण दर्शनीय आकर्षण देता है |किंतु वर्तमान में मंदिरों में जटिल और सूक्ष्म शैल्पिक अलंकरण का अभाव होने से शिल्प सौंदर्य पक्ष में कमी दिखाई देने लगी है |वास्तुकला भित्तिचित्र,आकर्षण शिल्पनक्काशी आदि कला को अपनाया जाना चाहिए ताकि शिल्पकला का विस्तार होकर सौंदर्य बोध और कला का महत्व बरक़रार रहे| साथ ही उसके अनुरूप शिल्पकार अपनी कला को और निखारने के साथ उन्हें कला का रोजगार प्राप्त हो सके |

— संजय वर्मा ‘दॄष्टि’
चित्र गूगल सौजन्य  -कैलाश मंदिर औरंगाबाद (महाराष्ट्र )

*संजय वर्मा 'दृष्टि'

पूरा नाम:- संजय वर्मा "दॄष्टि " 2-पिता का नाम:- श्री शांतीलालजी वर्मा 3-वर्तमान/स्थायी पता "-125 शहीद भगत सिंग मार्ग मनावर जिला -धार ( म प्र ) 454446 4-फोन नं/वाटस एप नं/ई मेल:- 07294 233656 /9893070756 /[email protected] 5-शिक्षा/जन्म तिथि- आय टी आय / 2-5-1962 (उज्जैन ) 6-व्यवसाय:- ड़ी एम (जल संसाधन विभाग ) 7-प्रकाशन विवरण .प्रकाशन - देश -विदेश की विभिन्न पत्र -पत्रिकाओं में रचनाएँ व् समाचार पत्रों में निरंतर रचनाओं और पत्र का प्रकाशन ,प्रकाशित काव्य कृति "दरवाजे पर दस्तक " खट्टे मीठे रिश्ते उपन्यास कनाडा -अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विश्व के 65 रचनाकारों में लेखनीयता में सहभागिता भारत की और से सम्मान-2015 /अनेक साहित्यिक संस्थाओं से सम्मानित -संस्थाओं से सम्बद्धता ):-शब्दप्रवाह उज्जैन ,यशधारा - धार, लघूकथा संस्था जबलपुर में उप संपादक -काव्य मंच/आकाशवाणी/ पर काव्य पाठ :-शगुन काव्य मंच