प्राचीन काल के मंदिरों में और उनकी दीवारों में जटिल और सूक्ष्म शिल्पकला की मूर्तिया, डिजाइन आदि बनी है|जो आज के युग मे आश्चर्य के साथ सौंदर्य का बोध भी कराती है।खजुराहों, कोणार्क कैलाश मंदिर (महाराष्ट्र ) दिलवाड़ा जैन मंदिर (राजस्थान),अजंता, एलोरा, एलिफेंटा, महाबलीपुरम आदि कई, मंदिर, गुफाएं, महल देखे जा सकते है।जो चट्टानों को तराशकर निम्न उदभृतों,मूर्तियों अथवा भित्तिचित्रों से अलंकृत कर दर्शनीय को बढ़ाते आ रहे है | शिल्पकला का जटिल और सूक्ष्म शैल्पिक अलंकरण दर्शनीय आकर्षण देता है |किंतु वर्तमान में मंदिरों में जटिल और सूक्ष्म शैल्पिक अलंकरण का अभाव होने से शिल्प सौंदर्य पक्ष में कमी दिखाई देने लगी है |वास्तुकला भित्तिचित्र,आकर्षण शिल्पनक्काशी आदि कला को अपनाया जाना चाहिए ताकि शिल्पकला का विस्तार होकर सौंदर्य बोध और कला का महत्व बरक़रार रहे| साथ ही उसके अनुरूप शिल्पकार अपनी कला को और निखारने के साथ उन्हें कला का रोजगार प्राप्त हो सके |
— संजय वर्मा ‘दॄष्टि’
चित्र गूगल सौजन्य -कैलाश मंदिर औरंगाबाद (महाराष्ट्र )