सम्हल जाइये
वक्त बड़ा नाजुक है यार,सम्हल जाइये,
बेदाग दामन को बचाके,निकल जाइये!
कदम-कदम पर ठगी मिलेंगे दुनिया में
उनकी मोहक अदा पे ना फिसल जाइये!
जो खेला करते हैं किसी के जज्बातों से
उनके लिए यूँ मोम सा ना,पिघल जाइये!
ना जाने किस घड़ी बुझे जीवन का दीप
छोटी-छोटी बातों पर ही ना उबल जाइये!
सच्चाई का वजूद मिटता नही मिटाने से
इसलिए झूठ के प्यालो में ना ढल जाइये
दम घुटने लगा है गीत,ग़ज़लों का दोस्तों
यूँ चुटकुले सुन-सुनाकर ना बहल जाइये!!
— आशीष तिवारी निर्मल
वाह बेहद शानदार सृजन